महिलाओं में कहां होता है ‘G-स्पॉट’, जो सेक्स के दौरान मचा देता है उत्तेजना का बवंडर

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‘जी-स्पॉट’ क्या है और इसे कैसे खोजते हैं? क्या जी-स्पॉट सचमुच में होता है? सुना है कि ‘जी-स्पॉट’ के जरिए ज्यादा उत्तेजना आ सकती है।

क्या यह सच है? और क्या G-स्पॉट हर महिला के लिए अलग है? सुना है कि जी-स्पॉट को डिजिटल रूप से पेनिट्रेट करना किसी महिला को ऑर्गेज्म (संभोग सुख) तक पहुंचाने के लिए काफी है। ऐसी न जाने कितनी गलतफहमियां और धारणाएं हैं जो लोगों के दिलो-दिमाग में बसी हैं। इसको लेकर ‘एक्सपर्ट की सलाह’ के जरिए डॉक्टर्स ने अपनी-अपनी राय जाहिर की। जानिए महिलाओं के शरीर में होने वाली इस जगह के बारे में

G-स्पॉट होता है या नहीं

जी-स्पॉट को लेकर आज तक विषय विशेषज्ञों के बीच बड़े मतभेद बने हुए हैं। कई डॉक्टर्स का मानना है कि महिलाओं के शरीर में ‘जी-स्पॉट’ कोई जगह नहीं होती। वहीं, कुछ का कहना है कि महिलाओं में क्लाइटोरिस से ज्यादा ‘जी-स्पॉट’ सेक्स के मजे को बढ़ा सकता है। हालांकि इसे खोजना एक बड़ी चुनौती होती है।

जी’ स्पॉट कैसे पड़ा नाम

सरल शब्दों में समझें तो पुरुषों में जो प्रॉस्टेट (पौरुष ग्रंथि) होता है, वैसे ही महिलाओं में G-स्पॉट होता है। दरअसल, जर्मन के गायनकोलॉजिस्ट अर्न्स्ट ग्रेफेनबर्ग ने औरतों के शरीर की इस खास जगह (Spot) के बारे में बताया था इसलिए ग्रेफेनबर्ग के नाम के पहले अक्षर के आधार पर ही इसे ‘जी’ स्पॉट नाम दे दिया गया।

जी-स्पॉट को पहचान ही न पाएं

भारत के दिग्गज सेक्सोलॉजिस्ट दिवंगत महिंद्र वत्स ने इस बारे में कहा था कि यह योनि (Vagina) का एक ऐसा हिस्सा होता है जिसके बारे में कहा जाता है कि यहीं महिलाओं का यौन आनंद (Sexual Pleasure) छिपा रहता है। वजाइना की अपर वॉल के ठीक पीछे जी-स्पॉट होता है और जब इस एरिया को उत्तेजित किया जाता है तो इसका साइज बड़ा हो जाता है और तभी महिला को ऑर्गेज्म (चरमसुख) महसूस होता है। कई बार हो सकता है कि आप जी-स्पॉट को पहचान ही न पाएं।

क्लाइटोरिस का एक हिस्सा

दरअसल, जी-स्पॉट को अक्सर आइडेन्टफाइड नहीं किया जाता है। इसे अक्सर इनर लेबिया (मादा जननांग की मुड़ी हुई त्वचा) में मटर के आकार के दाने के रूप में देखा जाता है और यह वास्तव में क्लाइटोरिस का एक हिस्सा है। यह हर महिला में भिन्न होता है और इसका एक जैसा होना भूसे के ढेर में राई का दाना खोजने जैसा है। जैसे-जैसे इच्छा का स्तर ऊपर बढ़ता जाता है, क्लिटोरल उत्तेजना एक महिला को अधिकतम संतुष्टि और संभोग सुख तक पहुंचने में मदद कर सकती है।

2 इंच की गहराई पर

देश के एक और सीनियर सेक्सपर्ट डॉक्टर प्रकाश कोठारी कहते हैं कि ‘जी-स्पॉट’ या ग्राफेनबर्ग-स्पॉट महिलाओं के प्राइवेट पार्ट में एक ऐसी जगह होती है, जहां कहते हैं कि सेंसिटिविटी ज्यादा होती है। यह स्पॉट प्राइवेट पार्ट की दीवार के ऊपरी हिस्से में करीब 1.5 या 2 इंच की गहराई पर होता है। वहां आगे-पीछे या दाएं-बाएं अंगुली घुमाने पर ‘जी-स्पॉट’ का पता चल जाता है, क्योंकि उस जगह उंगली के स्पर्श से कुछ स्त्रियों को ज्यादा ही उत्तेजना का अहसास होता है।

उत्तेजना का अहसास

उत्तेजना बढ़ने पर यह ‘जी-स्पॉट’ एक छोटी-सी गांठ की तरह फूल कर थोड़ा-बहुत कठोर भी हो जाता है। इससे उत्तेजना में इजाफा होता है। लेकिन साथ-ही-साथ क्लिटोरिस को भी सहलाया जाए तो औरत को ज्यादा आनंद और उत्तेजना का अहसास होता है।

‘जी-स्पॉट’ सिर्फ एक धारणा

इन सब से इतर कुछ सेक्सोलॉजिस्ट का मानना है कि ‘जी-स्पॉट’ की धारणा सिर्फ पुरुष का दिमागी फितूर है। एक क्लिटोरिस ही है जिसकी वजह से औरतों को सेक्स के दौरान काफी उत्तेजित किया जा सकता है, क्योंकि क्लिटोरिस में आठ हजार तंत्रिकाएं होती हैं जो इसे शरीर का सबसे संवेदनशील हिस्सा बनाती हैं। इस काजू के जैसे टुकड़े को स्पर्श करने से ही महिला को चरमसुख तक पहुंचाया जा सकता है।

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