Vat Savitri Vrat 2025: पहली बार कर रही हैं वट सावित्री व्रत, तो यहां जानें नियम और पूजा विधि

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हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. सुहागिन स्त्रियां इस व्रत को पूरे श्रद्धाभाव के साथ इस व्रत को पूरे विधि-विधान के साथ रखती हैं.

माना जाता है कि इस व्रत को रखने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है व पति की आयु लंबी होती है. अमर सुहाग का प्रतीक वट सावित्री व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है. इस दिन विधि-विधान से पूजा करने वाली स्त्री को अमर सुहाग होता है.

लेकिन अगर आप इस साल पहली बार व्रत सावित्री व्रत करने जा रहे हैं तो कुछ विशेष नियमों का पालन करना बेहद आवश्यक होता है. जिससे की व्रत का पूरा फल प्राप्त हो और सफल रहे. ऐसे में आइए पंडित रमाकांत मिश्रा के अनुसार जानते हैं कि इस बार कब पड़ रहा है वट सावित्री व्रत और किन-किन नियमों का करना चाहिए पालन.

वट सावित्री व्रत कैसे करें

व्रत रखने के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल या पीले रंग के कपड़े पहनकर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद बरगद के पेड़ की पूजा करें उसकी जड़ में जल चढ़ाएं और उसके चारों ओर कच्चा धागा या कलावा लपेटें. पूजा करने के बाद वट पेड़ की सात बार परिक्रमा करनी चाहिए. वट सावित्री व्रत की कथा सुनकर या पढ़कर आरती करें. व्रत के बाद अगले दिन 11 भीगे हुए चने खाकर व्रत का पारण करें.

वट सावित्री व्रत के नियम

इस व्रत को निर्जला रखने की मान्यता है. इस दिन सोलह श्रृंगार करना चाहिए. इस व्रत के बाद घर के बड़ों का आशीर्वाद लें. वट सावित्री व्रत के बाद फल, अनाज, कपड़ा आदि एक टोकरी में रखकर किसी जरूरतमंद या ब्राह्मण को दान दें.

वट वृक्ष की परिक्रमा

वट वृक्ष की हमेशा परिक्रमा उस दिशा में करनी चाहिए जिस दिशा में घड़ी के काटे चलते है. इस दिन बरगद के पेड़ की 7 परिक्रमा करनी चाहिए और इसमें 7 बार धागा लपेटना चाहिए.

शाम को खा सकते हैं ये चीजें

धार्मिक मान्यता के अनुसार वट सावित्री व्रत के दिन महिलाओं को आम का मुरब्बा, गुड़ या चीनी जरूर खाना चाहिए. इस दिन शिवजी को पूड़ी चना और पूआ का भोग लगाकर प्रसाद के रूप में ग्रहण करना चाहिए.

इस दिन दान करें ये वस्तुएं

वट सावित्री के दिन महिलाओं को सुहाग का सामान दान करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि वट सावित्री के दिन सुहाग का सामान दान करना शुभ होता है और इससे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

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