कब है वट सावित्री का व्रत? बड़ा खास होता है इसका महत्व, काशी के ज्योतिषी से जानें शुभ मुहूर्त-पूजा विधि समेत सब

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हिन्दू पंचाग में ज्येष्ठ अमावस्या का विशेष महत्व है .इस दिन वट सावित्री व्रत रखा जाता है. यह व्रत सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लम्बी आयु की कामना के लिए करती हैं.

धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से घर में सुख शांति और समृद्धि का वास होता है. यह व्रत तीन दिनों का होता है. इसमें वट वृक्ष के नीचे पूजा का विधान है. उत्तर प्रदेश, बिहार समेत कई राज्यों में महिलाएं इस व्रत को रखती हैं.

इस व्रत में वट वृक्ष के नीचे कच्चा सूत बांधकर 108 बार उसकी परिक्रमा करना होता है. इसके अलावा कई सारी चीजें वट वृक्ष के नीचे पूजा के दौरान अर्पण करना पड़ता है. आइये जानते हैं काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय से पूजा और व्रत के इस सामग्रियों के बारे में…..

पूजा के लिए चाहिए ये सामान

कच्चा सूत (हल्दी से रंगा हुआ), लाल और पीले फूल की माला, मौसमी फल (आम, लीची, तरबूज, खरबूजा), भीगा हुआ चना, पंखा, बांस की टोकरी, नए वस्त्र, अक्षत, वट वृक्ष की डाल, तांबे के लोटे में गंगा जल, धूप, सिंदूर, अगरबत्ती, नैवैद्य, मिठाई, सुपारी, हल्दी, देसी घी, रोली और पान का पत्ता जरूर रखना चाहिए.

यह है पूजा का शुभ समय

वट सावित्री व्रत के दौरान वट वृक्ष के नीचे पूजा की जाती है. इस दिन पूजा के लिए सबसे शुभ समय सुबह 8 बजकर 2 मिनट से शुरू हो रहा है, जो 10 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. इसके अलावा इस दिन अभिजीत मुहूर्त में भी आप वट वृक्ष की पूजा कर सकते हैं.

बन रहे शुभ संयोग

काशी के ज्योतिषाचार्य पंडित संजय उपाध्याय ने बताया कि इस बार वट सावित्री का व्रत 6 जून को रखा जाएगा. इस दिन कई शुभ संयोग भी है. पंचाग के अनुसार इस दिन धृति योग के साथ शिववास योग का निर्माण हो रहा है. जो इस व्रत के प्रभाव को दोगुना कर देगा.

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