तालिबान में चल रहे खूनी खेल में तालिबान के अलावा ये भी हैं बड़े प्लेयर, जानें- इस्लामिक स्टेट से ETIM तक पूरा नेटवर्क

0 379

अमेरिकी सेना ने पूरी तरह से अफगानिस्तान को छोड़ दिया है। तालिबान ने अब काबुल एयरपोर्ट पर भी अपना कब्जा जमा लिया है। हाल के दिनों में काबुल एयरपोर्ट पर कई बार गोलीबारी और एक भयंकर आत्मघाती हमला हुआ है। काबुल में पिछले 15 दिनों में कम से कम 200 लोगों की मौत हो चुकी है और 350 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

अब डिफेंस एनालिस्ट्स और जियोपॉलिटिकल एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अफगानिस्तान में कई आतंकी गुट सक्रिय हैं और ऐसे में शांति की बात बहुत दूर की कौड़ी है। आइए जानते हैं अफगानिस्तान में कौन से आतंकी गुट एक्टिव हैं?

अल-कायदा

सोवियत संघ के अफगानिस्तान पर चढ़ाई करने के बाद से ही अल-कायदा का ऑरिजिन बताया जाता है। अल-कायदा 1980 से लेकर अब तक अफगानिस्तान में एक्टिव है। अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अल-कायदा का एक प्रमुख नेता अमीन-उल-हक तालिबान अपने पैतृक घर नंगरहार लौट आया है। अमीन अल-कायदा के पूर्व प्रमुख ओसामा बिन लादेन का करीबी सहयोगी था, जिसे 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में अमेरिकी सेना ने मार गिराया था।

यूनाइटेड नेशंस की 2020 की एक रिपोर्ट बताती है कि अल-कायदा अफगानिस्तान के 12 प्रदेशों में एक्टिव है और इस ग्रुप का लीडर अल-जवाहिरी भी अफगानिस्तान में ही रह रहा है। अफगानिस्तान में अल-कायदा लड़ाकों की कुल संख्या 600 के करीब बताई जाती है।

ETIM

ईस्ट तुर्कमेनिस्तान इस्लामिक मूवमेंट। यह चीनी उइगर मूल का एक आतंकी संगठन है। 1998 में इस संगठन ने काबुल को अपना अड्डा बनाया था और इसे तालिबान का सपोर्ट हासिल था। रिपोर्ट्स बताती हैं कि अफगानिस्तान में कुंदुज की लड़ाई के दौरान उइगर मूल के इस्लामी आतंकी तालिबान का साथ दे रहे थे। कई बार तालिबान के साथ लड़ाई में अमेरिका ETIM के सदस्यों को भी पकड़ चुका है। चीन ने तालिबान से लगातार इस ग्रुप पर नकेल कसने को कहा है लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

हक्कानी नेटवर्क

हक्कानी नेटवर्क अफगानिस्तान में नाटो और अमेरिकी सेना के खिलाफ लड़ती रही है। हक्कानी नेटवर्क तालिबान को सपोर्ट करती है। अमेरिका ने इस ग्रुप को अफगानिस्तान में सबसे खतरनाक दुश्मनों का नेटवर्क बताया था। 2011 में इस ग्रुप के सबसे बड़े नेता सिराजुद्दीन हक्कानी ने कहा था कि, ‘हम अफगान लोगों के बीच अफगानिस्तान में अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं।’ कई मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस ग्रुप को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का पूरा समर्थन हासिल है।

IS-K

इस्लामिक स्टेट ऑफ़ खोरासन 2015 से अफगानिस्तान में सक्रिय है और कई आत्मघाती हमलों में शामिल रहा है। हाल ही में हुए काबुल एयरपोर्ट हमले की जिम्मेदारी IS-K ने ली है। इस हमले में 180 से अधिक लोग मारे गए थे और 150 से अधिक लोग घायल हो गए थे। अमेरिका ने अनुमान जताया है कि अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट आतंकवादी समूह के करीब 2000 लड़ाके हैं। अमेरिकन सेंट्रल कमांड के कमांडर केनेथ मैकेंजी ने हाल ही में यह बात कही है।

तहरीक-ए-तालिबान-पकिस्तान

TTP पाकिस्तान बेस्ड आतंकी संगठन है जो अफगानिस्तान में भी सक्रिय है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि करीब 5000 TTP के लड़ाके अफगानिस्तान में मौजूद हैं। इस ग्रुप का मकसद पाकिस्तान में तालिबान शासन लाना है। यह ग्रुप तालिबान को सपोर्ट करता रहा है। 2014 में पेशावर में हुए स्कूल हमले में 149 बच्चों की जान गई थी। इस हमले की जिम्मेदारी TTP ने ली थी।

जैश-ए-मोहम्मद

यह आतंकी संगठन भी पाकिस्तान बेस्ड है। इसने भारत और अफगानिस्तान में अपने पांव पसारे हुए हैं। अफगानिस्तान में यह ग्रुप तालिबान और अल-कायदा के साथ मिलकर काम करता रहा है। अफगानिस्तान में इस ग्रुप के कई ट्रेनिंग कैंप हैं। 2001 में तालिबान के सत्ता से हटाने के बाद इसका बेस पाकिस्तान बनता गया लेकिन अब तालिबान फिर से अफगानिस्तान में सत्ता में है। ऐसे में एक्सपर्ट्स का मानना है कि जैश-ए-मोहम्मद के लिए अफगानिस्तान फिर से अड्डा बनने वाला है।

लश्कर-ए-तैयबा

LeT अफगानिस्तान में 1990 के दशक से एक्टिव है। नजीबुल्लाह को सत्ता से उखाड़ने के लिए यह ग्रुप सोवियत से लड़ी थी। अफगानिस्तान में इस ग्रुप के कई ट्रेनिंग कैंप अब भी मौजूद हैं। यह ग्रुप अफगानिस्तान में भारतीयों को टारगेट करती रही है। अफगानिस्तान में इस आतंकी गुट का अल-कायदा, जैश-ए-मोहम्मद और तालिबान से संबंध हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.