इलेक्टोरल बॉन्ड पर SBI को फटकार, CJI ने दी नई डेडलाइन, 10 प्वांइट में जानें पूरी बात
सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) को इलेक्टोरल बॉन्ड के यूनिक नंबर और इससे जुड़ी सभी जानकारियों 21 मार्च तक खुलासा करने का निर्देश दिया है.
इन यूनीक बॉन्ड नंबर्स से खरीदार और इसे हासिल करने वाले राजनीतिक दलों के बीच राजनीतिक संबंध का खुलासा होगा.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने कहा कि इसमें ‘कोई संदेह नहीं’ है कि एसबीआई को बॉन्ड की सभी जानकारियों का खुलासा करना होगा. उसने एसबीआई चेयरमैन को यह बताते हुए 21 मार्च को शाम पांच बजे तक एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया कि बैंक ने सभी विवरण का खुलासा कर दिया है.
सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली इस बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल हैं. पढ़ें इस आदेश की 10 खास बातें…
SBI के चेयरमैन को गुरुवार यानी 21 मार्च को शाम 5 बजे तक बांड्स से संबंधित सारी जानकारी साझा करनी होगी. इसमें बॉन्ड्स के यूनिक नंबर की जानकारी भी शामिल है.
SBI चेयरमैन को डाटा देने के बाद सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देना होगा.
चुनाव आयोग ये डाटा मिलते ही अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक करेंगे.
SCBA अध्यक्ष अदिश अग्रवाल के पत्र पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार करते हुए कहा कि ये महज पब्लिसिटी स्टंट है.
इस मामले में FICCI, Assocham (Industrialists) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी पेश हुए. कोर्ट ने उन्हें सुनने से इनकार कर दिया और कहा कि हमारे पास आपकी एप्लीकेशन नहीं है.
रोहतगी ने कहा कि नंबर जारी नहीं किए जाएं. कोर्ट ने कहा कि आप आदेश जारी होने के बाद आए हैं, अब कुछ नहीं हो सकता.
सरकार की ओर से कहा गया कि कुछ लोग और एनजीओ सोशल मीडिया के ज़रिये इस मामले को अलग मोड़ देने की कोशिश कर रहे हैं.
कोर्ट ने कहा कि एक संस्थान के तौर पर सोशल मीडिया पर क्या चल रहा है, इससे हेम फ़र्क़ नहीं पड़ना चाहिए.
याचिकाकर्ता की ओर से प्रशांत भूषण ने कहा कि कुछ राजनीतिक दलों ने खुद ही स्वयं को मिले बॉन्ड्स की जानकारी सार्वजनिक कर दी है, बाकियों को भी करनी चाहिए.
कोर्ट ने साफ कहा कि हमने 12 अप्रैल 2019 की तारीख़ कट ऑफ डेट के तौर पर ली है. लिहाजा उससे पहले दिए गए बॉन्ड्स पर ये आदेश लागू नहीं होगा.