अखिलेश यादव को क्या डर लग रहा? सरकार से क्यों कहा-हमें डराने के लिए ही वापस ली एनएसजी सिक्योरिटी
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला. उन्होंने कहा, ‘जिस दिन तुमने मेरी एनएसजी सिक्योरिटी वापस ली थी, उसी दिन मुझे तुम्हारी नियत और मंशा समझ आ गई थी.
तुम हमें डराना चाहते हो. लेकिन जो असल में डरपोक हैं, वो एनएसजी की सुरक्षा रखे हुए हैं.’ अखिलेश यादव के इस बयान पर सियासी हंगामा शुरू हो गया है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या अखिलेश यादव को वाकई कोई डर सता रहा है? या फिर यह बयान केंद्र सरकार पर सियासी दबाव बनाने की रणनीति का हिस्सा है?
दरअसल, अखिलेश यादव को 2012 में यूपीए सरकार के दौरान जेड-प्लस श्रेणी की एनएसजी सिक्योरिटी दी गई थी. तब वे यूपी के मुख्यमंत्री हुआ करते थे, और खुफिया एजेंसियों ने उनके लिए खतरे की आशंका जताई थी. हालांकि, 2019 में केंद्र की बीजेपी सरकार ने अखिलेश यादव की एनएसजी सिक्योटिरी वापस ले ली. गृह मंत्रालय ने कहा कि इसकी नियमित तौर पर समीक्षा की जाती है और अब अखिलेश यादव के लिए खतरे का स्तर उतना गंभीर नहीं है. तब एनएसजी की जगह अखिलेश यादव को यूपी पुलिस की सिक्योरिटी दी गई थी. उस समय तो अखिलेश यादव ने इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया नहीं दी थी, लेकिन मंगलवार को जिस तरह उन्होंने सवाल उठाया, उससे साफ है कि अखिलेश यादव उसे भूले नहीं हैं.
अखिलेश का बयान डर या सियासत?
अखिलेश यादव का यह बयान तब आया जब वे 2027 के यूपी विधानसभा चुनावों की तैयारियों पर चर्चा कर रहे थे. उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, एनएसजी हटाने का फैसला मेरी सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि मुझे और मेरे समर्थकों को डराने के लिए लिया गया था. लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं. जो लोग डरते हैं, वो अपने आसपास एनएसजी का घेरा रखते हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अखिलेश यादव का यह बयान बीजेपी को घेरने की रणनीति का हिस्सा है. साथ ही, विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश भी है. क्योंकि अखिलेश का बयान उस समय आया है, जब विपक्षी दलों के कई नेताओं ने केंद्र सरकार पर अपनी आवाज दबाने का आरोप लगाया है. आम आदमी पार्टी, टीएमसी, झामुमो और कांग्रेस बीजेपी पर हमलावर रही है.
बीजेपी का पलटवार
यूपी बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा, “अखिलेश यादव को डर का कोई कारण नहीं है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था पूरी तरह नियंत्रण में है. एनएसजी सुरक्षा वापस लेना गृह मंत्रालय का तकनीकी फैसला था, जिसमें कोई सियासत नहीं है. अगर अखिलेश को डर लग रहा है, तो उन्हें अपने कार्यकाल की याद करनी चाहिए, जब अपराधी खुलेआम घूमते थे. बीजेपी ने यह भी कहा कि अखिलेश का बयान सिर्फ सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कोशिश है.
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