ये है भारत की ताकत, चीन पहुंचते ही मालदीव के राष्ट्रपति की लगी क्लास, ड्रैगन ने कहा- इंडिया का करते हैं सम्मान

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भारत के साथ विवादों के बीच चीन पहुंचे मालदीव के राष्ट्रपति को चीनी मीडिया का भी सामना करना पड़ा. उनके दौरे पर चीन के सरकारी अखबार ने एक संपादकीय में मालदीव के साथ भारत के राजनयिक विवाद का जिक्र किया गया है.

इसके अलावा मीडिया में भारत को साउथ एशियाई मुद्दों पर ‘खुले दिमाग’ वाले नीति के साथ अमल करने की बात कही गई. मालूम हो कि देश के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन के प्रति काफी झुकाव वाले नेता माने जाते हैं.

मालूम हो कि रविवार को मालदीव सरकार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारत के सबसे छोटे केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप की यात्रा पर अपमानजनक टिप्पणी करने पर तीन मंत्रियों को निलंबित कर दिया है. मालदीव सरकार ने तीन मंत्रियों की “अपमानजनक” टिप्पणियों से खुद को दूर कर लिया है और इस मामले को उनकी ‘व्यक्तिगत राय बताया है जो सरकार के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करती है.’

सत्ता में आने के बाद बिगड़े बोल

मुइज़ू के मालदीव के सत्ता में आने के बाद से पिछले कुछ महीनों में भारत और द्वीप राष्ट्र के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं. चीन समर्थक राजनेता के रूप में माने जाने वाले मुइज्जू ने सितंबर में हुए राष्ट्रपति पद के चुनाव में अपने भारत-हितैषी पूर्ववर्ती इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को हराया था. ग्लोबल टाइम्स के संपादकीय में कहा गया है कि चीन ने हमेशा मालदीव को एक समान भागीदार माना है और उसकी संप्रभुता का सम्मान किया है

भारत संग विवाद पर चीनी मीडिया ने क्या कहा?

मुइज़ू चीन की यात्रा के लिए बीजिंग पहुंच चुके हैं. इसी दौरान चीनी सरकारी मीडिया में मालदीव के भारत संबंध के बारे लेख छपी है. मीडिया ने लिखा चीन मालदीव और भारत के बीच मैत्रीपूर्ण और सहयोगात्मक संबंधों का सम्मान करता है. वह नई दिल्ली के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए माले के महत्व को पूरी तरह से जानता है. बीजिंग ने कभी भी माले को चीन और भारत के बीच संघर्ष के कारण नई दिल्ली से संबंध खराब करने की कोई शर्त नहीं रखी और ना ही कभी सलाह दी. न ही वह मालदीव और भारत के बीच सहयोग को अपने लिए खतरे के रूप में देखता है.

भारत के लिए क्या कहा?

चीनी मीडिया के लेख में कहा गया है कि वह (चीन) भारत मालदीव और चीन के बीच त्रिपक्षीय सहयोग करने का भी इच्छुक है. नई दिल्ली को अधिक खुले दिमाग से रहना चाहिए, क्योंकि दक्षिण एशियाई देशों के साथ चीन का सहयोग कोई ‘जीरो-सम’ का खेल नहीं है. जीरो-सम गेम खेल का गणितीय वर्णन है जिसका मतलब है खेल में किसी एक पार्टी को खूब लाभ होना जबकि दूसरे को उतना ही हानि होना.

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