इकोनॉमी बन गई हथ‍ियार… टैरिफ वॉर के बीच जयशंकर ने कह दी बड़ी बात, बताया भारत का एजेंडा

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टैर‍िफ को लेकर अमेर‍िका और चीन आपस में भ‍िड़ पड़े हैं. इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ी बात कही. उन्‍होंने इकोनॉमी को हथ‍ियार के रूप में इस्‍तेमाल करने पर चिंता जताई. सभी देशों को मिलकर चलने की अपील की. ये भी बताया क‍ि चुनौत‍ियों से भरे इस वक्‍त में भारत का एजेंडा क्‍या है, भारत की द‍िशा क्‍या है?

भारत-इटली बिज़नेस, साइंस और टेक्नोलॉजी फोरम में जयशंकर ने कहा, हम आज ऐसे वक्‍त में मिल रहे हैं, जब वर्ल्‍ड इकोनॉमी और पॉल‍िट‍िक्‍स तेजी से बदल रही है. अब यह और अध‍िक जट‍िल और अप्रत्‍याश‍ित हो गई है. हम महामारी से उबर रहे हैं, लेकिन हमें यह स्वीकार करना होगा कि यूरोप, मिड‍िल ईस्‍ट और एशिया में कई जगह संघर्षों की वजह से सप्‍लाई चेन, मैर‍िटाइम श‍िपिंग पर असर पड़ा है. जियोपॉल‍िट‍िकल कॉम्‍पि‍टीशन तेज हुआ है, क्‍योंक‍ि बाजार का पूरा फायदा उठाया जा रहा है. इकोनॉमिक एक्‍ट‍िव‍िटीज को वेपनाइज क‍िया जा रहा है. ऐसे में मैन्‍यूफैक्‍चर‍िंग और सप्‍लाई चेन पर विश्वसनीयता टेंशन की बात हो गई है.

भारत क्‍या कर रहा

जयशंकर ने कहा, उद्योग और सरकारें तेजी से हो रहे डिजिटलाइजेशन और तकनीकी परिवर्तनों के प्रभाव के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश कर रही हैं, जो व्यापार बाधाओं और निर्यात नियंत्रण से बढ़े हैं. दुनिया भर के देश समझदारी से जोखिम कम करने के लिए मज़बूत राजनीतिक और आर्थिक साझेदारियां बना रहे हैं. अपने निर्माण और व्यापार साझेदारों को विविधता दे रहे हैं और रिसर्च में इन्‍वेस्‍टमेंट कर रहे हैं. हम भी इन्‍हें देख रहे हैं. भारत समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर मज़बूत और विश्वसनीय साझेदारियां विकसित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है, जो उसके आर्थिक और रणनीतिक लक्ष्यों को समर्थन देती हैं.

ये लोग खेल में बहुत आगे

इससे पहले जयशंकर ने कार्नेगी ग्लोबल टेक्नोलॉजी समिट में ह‍िस्‍सा ल‍िया. वहां अमेर‍िका के साथ ट्रेड डील पर कहा, भारत के व्यापार सौदे बहुत चुनौतीपूर्ण होंगे, क्योंकि अमेरिका बहुत महत्वाकांक्षी है. हमारी सोच औरों से अलग है. उन्‍होंने कहा, हम निश्चित रूप से तत्काल व्यापार वार्ता के लिए तैयार हैं. हमें एक अवसर दिखाई दे रहा है. हमारे व्यापार सौदे वास्तव में चुनौतीपूर्ण हैं और जब व्यापार सौदों की बात आती है, तो हमें एक-दूसरे के साथ बहुत कुछ करना होता है. जिस तरह अमेरिका का भारत के प्रति दृष्टिकोण है, उसी तरह भारत का भी उनके प्रति दृष्टिकोण है. हमारा मानना है क‍ि नतीजा अच्‍छा आएगा.

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