भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की तीन दिन की बैठक सोमवार (7 अक्टूबर) को शुरू हो गई.
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में आयोजित यह बैठक 9 अक्टूबर को खत्म होगी. वह 9 अक्टूबर को नीतिगत दरों (Repo Rate) पर फैसले की जानकारी देंगे. हालांकि एक्सपर्ट्स का अनुमान है कि रेपो रेट में बदलाव की संभावना नहीं है.
क्या आप जानते हैं कि देश में रेपो रेट आखिर कैसे आपके लोन की ईएमआई या फिर बचत पर असर डालता है? आइए जानते हैं पॉलिसी रेट या रेपो रेट में कमी या इजाफे से आम आदमी को क्या लेना-देना?
क्या होता है रेपो रेट
रेपो रेट वो दर होती है, जिस पर रिजर्व बैंक अन्य बैंकों को कर्ज देता है. जब रेपो रेट में बढ़ोतरी होती है, तो बैंकों को रिजर्व बैंक से महंगी दर पर कर्ज मिलता है.
रेपो रेट में बदलाव का EMI पर असर
होम लोन (Home Loan), पर्सनल लोन (Personel Loan) और ऑटो लोन (Auto Loan) समेत अन्य सभी बैंकिंग लोन रेपो रेट से जुड़े होते हैं. जब बैंकों को कम ब्याज दर (कम रेपो रेट) पर कर्ज मिलेगा, वे खुद भी अपने ग्राहकों को लुभाने के लिए अपनी ब्याज दर कम कर सकते हैं, ताकि कर्ज लेने के इच्छुक ग्राहक बढ़ जाएं. रेपो रेट बढ़ने से बैंकों के लिए भी कर्ज महंगा हो जाएगा और बैंक ग्राहकों को दिए जाने वाले लोन पर ब्याज की दर को बढ़ा देंगे. ऐसे में आपकी ईएमआई बढ़ जाएगी.
रेपो रेट का महंगाई से सीधा कलेक्शन
भारत या किसी भी देश में महंगाई और ब्याज दरों को मैनेज करते हुए चलना पड़ता है. आमतौर पर महंगाई को कंट्रोल में करने के लिए आरबीआई बाजार से लिक्विडिटी कम करने के लिए पॉलिसी रेट बढ़ाने का कदम उठाते हैं.
फरवरी 2023 से 6.5 फीसदी पर बरकरार है रेपो रेट
बता दें कि फरवरी, 2023 से रेपो दर को 6.5 फीसदी पर यथावत रखा है. सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित खुदरा महंगाई 4 फीसदी (2 फीसदी ऊपर या नीचे) पर बनी रहे.