नवजोत सिद्धू का फिर ‘अक्रॉस द लाइन’ शॉट, पंजाब के ‘कैप्‍टन’ को बताया-उन्‍हें क्‍या करना चाहिए?

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कांग्रेस हाईकमान की ओर से लगातार दिए जा रहे संकेतों के बावजूद पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू  ‘चुप’ होने का नाम नहीं ले रहे. उनके ट्वीटों का सिलसिला लगातार जारी है और ऐसा लगता है कि उनका निशाना अभी भी राज्‍य के सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह  हैं.

नवजोत को पंजाब राज्‍य कांग्रेस अध्‍यक्ष बनाए जाने के बाद उम्‍मीद की जा रही थी कि दोनों कद्दावर नेताओं के बीच बयानबाजी पर विराम (कम से कम विधानसभा चुनाव तक ) लग जाएगा लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है. सिद्धू अभी भी परोक्ष रूप से ‘कैप्‍टन’ पर वार करने से नहीं चूक रहे. इन ट्वीट्स से पंजाब कांग्रेस में चल रहा विवाद और बढ़ने की आशंका है और इसका असर विधानसभा चुनावों (Punjab Assembly polls 2022) में पार्टी को उठाना पड़ सकता है. सिद्धू ने ताजा दो ट्वीट बिजली दर को लेकर किए हैं, उनकी मंशा भले ही ‘साफ’ हो लेकिन ट्वीट से ऐसा लग रहा है मानो वे पंजाब सरकार को ‘निर्देश’ दे रहे हों.

पहले ट्वीट में उन्‍होंने लिखा, ‘पंजाब सरकार को सार्वजनिक हित में PSERC को यह निर्देश जारी करने चाहिए कि प्राइवेट पावर प्‍लांट्स को किए जा रहे शुल्‍क (tariff)को संशोाधित करे. दोषपूर्ण PPAs को शून्‍य घोषित किया जाए. दोषपूर्ण PPA को खत्‍म करने और एक नया कानून लाने के लिए पांच से सात दिन का विधानसभा सत्र बुलनाया जाना चाहिए. ‘ इस मुद्दे पर किए गए एक अन्‍य ट्वीट में पूर्व इंटरनेशनल क्रिकेटर नवजोत सिद्धू ने लिखा, ‘इससे पंजाब सरकार को ‘सामान्‍य श्रेणी सहित सभी घरेलू उपभोक्‍ताओं को 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने में मदद मिलेगी. घरेलू टैरिफ को घटना तीन रुपये प्रति यूनिट और इंडस्‍ट्री के लिए पांच रुपये प्रति यूनिट…इसके साथ ही सभी बकाया बिलों के समाधान और अनुचित बिलों को माफ करने में सहायता मिलेगी.

गौरतलब है कि सिद्धू इससे पहले राज्‍य में गन्‍ने की स्‍टेट अशोयर्ड प्राइज (SAP)को लेकर ट्वीट कर चुके हैं. उन्‍होंने लिखा था, ‘गन्‍ना किसानों के मुद्दे को सौहाद्रपूर्ण ढंग से तत्‍काल हल किए जाने की जरूरत है. यह अजीब है कि पंजाब में खेती की लागत ज्‍यादा होने के बाद भी SAP हरियाणा-यूपी-उत्‍तराखंड की तुलना में कम है. कृषि के प्रथप्रदर्शके रूप में पंजाब में SAP बेहतर होनी चाहिए. ‘ उन्‍होंने लिखा था-गन्‍ना किसानों के लिए SAP वर्ष 2018 के बाद से नहीं बढ़ा है जबकि इनपुट लागत में 30 फीसदी से अधिक का इजाफा हुआ है.

पंजाब मॉडल के मायने हैं उचित मूल्‍य के लिए नीतिगत हस्‍तक्षेप, मुनाफे में समान हिस्‍सेदारी, उत्‍पादन में विविधीकरण और किसानों और गन्‍न्‍ना मिल दोनों के लिए अधिक लाभ. एक अन्‍य ट्वीट में उन्‍होंने लिखा, ‘किसानों की मांग के अनुरूप SAP तत्‍काल प्रभाव से बढ़ाई जानी चाहिए और बकाया जारी किया जाना चाहिए.’बाद में सीएम अमरिंदर सिंह ने राज्‍य में गन्‍ना की एसएपी बढ़ाने को ऐलान किया था.

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