शिया VS सुन्नी का नया अखाड़ा बन रहा सीरिया! सऊदी-कतर उतरे मैदान में, समझें मिडिल ईस्ट का नया खेल
सीरिया में बशर अल-असद शासन को विद्रोहियों ने उखाड़ फेंका. हयात तहरीर अल-शाम (HTS) के लड़ाकों ने दो सप्ताह में ही राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया.
राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन के दौरान सीरिया एक शिया लीडरशिप वाला देश रहा है. सीरिया में अंतरिम राष्ट्रपति HTS नेता अहमद अल-शरा बने, जिसके बाद अब सीरिया पर सुन्नी देशों का प्रभाव बढ़ गया है. अहमद अल-शरा, जिन्हें अभी तक विद्रोही कहा जाता था और अमेरिका ने 1 करोड़ डॉलर का इनाम रखा था उनके लिए दुनिया भर के देशों ने रेड कार्पेट बिछा रखा है. विद्रोहियों ने सत्ता में आते ही सबसे पहले इजरायल और ईरानी नागरिकों की सीरिया में हवाई यात्रा के जरिए आने पर रोक लगा दी.
यह कदम ईरान के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं था. क्योंकि बशर अल-असद के शासन के दौरान ईरान और सीरिया के बेहद घनिष्ठ संबंध थे. ईरानी सैन्य अधिकारी भी सीरिया में जाते रहते थे. लेकिन जब सत्ता विद्रोहियों के हाथ आई तो सीरिया में सबसे पहली यात्रा कतर के राष्ट्रपति शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने की और अंतरिम राष्ट्रपति से मुलाकात की. यहां उन्होंने एकता, न्याय और स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ने वाले सीरियाई लोगों का समर्थन करने की प्रतिबद्धता दोहराई. उन्होंने सीरियाई क्रांति की जीत और अल शरा के अंतरिम नेता बनने पर बधाई दी.
सऊदी के साथ सीरिया की करीबी
ईरान के लिए झटके वाली एक और बात सीरिया के अंतरिम राष्ट्रपति अहमद अल-शरा की पहली विदेश यात्रा है. अल-शरा रविवार को अपनी पहली विदेश यात्रा के मौके पर सऊदी अरब पहुंचे हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अहमद अल-शरा को लेने के लिए एक प्राइवेट प्लेन भी भेजा. अल-शरा अपनी यात्रा के दौरान क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात करेंगे, जो दोनों देशों के बीच एक महत्वपूर्ण राजनयिक कदम है. पाकिस्तान भी अल शरा के आने से खुश है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘हम संक्रमणकालीन चरण के दौरान सीरियाई अरब गणराज्य के राष्ट्रपति के रूप में अहमद अल-शरा के पदभार ग्रहण करने का स्वागत करते हैं और आशा करते हैं कि नया नेतृत्व सीरिया के भाईचारे वाले लोगों के लिए शांति, प्रगति और समृद्धि लाने में सक्षम होगा.’
सीरिया के सामने चुनौती
सीरिया की अंतरिम सरकार के सामने दो सबसे बड़ी चुनौती है. सबसे पहली कि उसे शिया विरोधी होने से बचना है क्योंकि यह देश में नया युद्ध शुरू सकता है. वहीं दूसरा उसे देश की आम जनता के लिए रोटी का इंतजाम करना है. जनवरी की शुरुआत में अमेरिका ने सीरिया की नई सरकार को खुफिया जानकारी दी थी कि इस्लामिक स्टेट के आतंकी एक शिया धार्मिक स्थल पर हमला कर सकते हैं. मिडिल ईस्ट आई की रिपोर्ट के मुताबिक ट्यूनीशिया में सत्ता का नेतृत्व करने वाली पार्टी एन्नाहदा के सदस्य जिद लधारी ने कहा कि अंतरिम सरकार को राजनीतिक बदलाव लाने की जगह रोजी-रोटी के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए. उन्होंने कहा कि सही कौशल वाले सही लोगों को नियुक्त करना सरकार की जिम्मेदारी है.
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