ममता जिसके सहारे बंगाल छोड़ चली थीं इंडिया ब्‍लॉक संभालने, उसी ने कर दी बगावत, अब घर संभाले या देश?

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ज्यादा समय नहीं हुआ, जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को ‘इंडिया’ गठबंधन की कमान सौंपने की बात कही जा रही थी. हरियाणा के बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में गठबंधन को मिली करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस पर सवाल उठने शुरू हो गए थे.

अखिलेश यादव हों या शरद पवार या फिर अरविंद केजरीवाल… सभी एक सुर में बदलाव की मांग कर रहे थे. लेकिन जिस ममता बनर्जी से अपना ही घर नहीं संभल रहा, वो भला विपक्षी गठबंधन को कैसे एकजुट रख पाएंगी. बंगाल में उनकी ही पार्टी में उथल-पुथल मची हुई है. इसके पीछे और कोई नहीं, बल्कि ममता बनर्जी के ही भतीजे और पार्टी महासचिव अभिषेक बनर्जी हैं.

दरअसल, पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के भीतर बढ़ते मतभेदों को लेकर एक नई बहस उठ गई है. पार्टी के दूसरे सबसे बड़े नेता, अभिषेक बनर्जी, ने हाल ही में उन पार्टी नेताओं से असहमति जताई थी, जो उन कलाकारों के बहिष्कार की वकालत कर रहे थे जिन्होंने कोलकाता के आर जी कर अस्पताल में एक डॉक्टर के कथित बलात्कार और हत्या के मामले में टीएमसी सरकार की आलोचना की थी. इसके तुरंत बाद ममता बनर्जी ने उन मंत्रियों पर निशाना साधा जो उनके भतीजे के करीबी माने जाते हैं, जिससे यह मुद्दा और भी संवेदनशील हो गया. टीएमसी में ममता और उनके भतीजे के बीच खड़ी दीवार भी साफ नजर आने लगी.

ये सब शुरू हुआ न्यू ईयर ईव पर, जब कोलकाता के एक स्थानीय टीएमसी पार्षद ने सिंगर लग्नजिता चक्रवर्ती के नए साल की पूर्व संध्या पर आयोजित कार्यक्रम को रद्द कर दिया. इसके बाद वरिष्ठ प्रवक्ता कुणाल घोष ने 31 दिसंबर को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि लोग विरोध करने के लिए स्वतंत्र हैं और कलाकारों को मार्च करने का अधिकार है. हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि जो कलाकार जानबूझकर अपमानजनक बयान देते हैं, मुख्यमंत्री, सरकार और पार्टी पर हमले करते हैं, सरकार को गिराने की बात करते हैं, और टीएमसी समर्थकों का अपमान करते हैं, उन्हें टीएमसी द्वारा आयोजित किसी भी कार्यक्रम में मंच पर नहीं आना चाहिए. उनका बहिष्कार किया जाना चाहिए. अगर किसी टीएमसी नेता को इस पर संदेह हो, तो उन्हें सीनियर लीडरशिप से परामर्श करना चाहिए. पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए.

लग्नजिता के अलावा, गायिका देबलीना दत्ता, जो आरजी कर विरोध प्रदर्शन के दौरान भी मुखर थीं, ने भी दावा किया है कि हाल ही में उनके कम से कम चार कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं. यह विवाद टीएमसी के अंदर जारी मतभेदों और ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के बीच बढ़ती दूरी का एक और उदाहरण बन गया है. पार्टी में इस मुद्दे को लेकर चिंता और अनिश्चितता का माहौल है.

पार्टी में जारी मतभेदों के बीच, डायमंड हार्बर से सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी की तरफ से पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष के बयान पर दी गई प्रतिक्रिया ने विवाद को और गहरा दिया. उन्होंने 2 जनवरी को अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, “क्या किसी ने पार्टी की ओर से ऐसा कहा? क्या आपने कोई नोटिस देखा है? क्या ममता बनर्जी या मैंने बतौर राष्ट्रीय महासचिव के रूप में, कुछ कहा है?” अभिषेक ने यह भी कहा कि वह किसी को यह नहीं बताना चाहते कि वह कहां गाएंगे, किसके साथ गाएंगे, या कब गाएंगे. उन्होंने कहा, “हर किसी को अपनी स्वतंत्रता है.”

इसके कुछ ही समय बाद, टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने ‘एक्स’ पर लिखा कि विरोध-प्रदर्शन और विरोध के नाम पर प्लानिंग के साथ की गई अशिष्टता में अंतर होता है. उन्होंने यह भी कहा, “टीएमसी कार्यकर्ताओं की अंतरात्मा इस मामले का निर्णय करेगी.” घोष ने कहा, “और इस संबंध में जो कुछ भी पार्टी की शीर्ष नेता, चेयरपर्सन ममता बनर्जी कहेंगी, जो इस मुद्दे पर सबसे अधिक हमले और साजिशों का सामना कर चुकी हैं, वही अंतिम शब्द होगा.”

घोष के इस बयान में वही बात गूंजती है, जो ममता बनर्जी ने पिछले महीने कही थी. टीएमसी में अभिषेक बनर्जी की बड़ी भूमिका को लेकर तनाव के बीच ममता ने यह स्पष्ट किया था कि वह पार्टी मामलों पर अंतिम निर्णय लेने वाली हैं. टीएमसी के वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी, जो पार्टी में अभिषेक के आलोचक माने जाते हैं, ने भी घोष का समर्थन किया. उन्होंने कहा, “टीएमसी कार्यकर्ताओं की सभी भावनाएं ममता बनर्जी के चारों ओर केंद्रित हैं. हम क्यों किसी ऐसे व्यक्ति को अपने कार्यक्रमों में अनुमति देंगे जो उन्हें अपमानित करता है और गाली-गलौच करता है?” कल्याण ने यह भी कहा कि वह आरजी कर अस्पताल मामले में डॉक्टरों के लिए अदालत में लड़े थे और कुणाल घोष ने भी उन जूनियर डॉक्टरों का समर्थन किया था जिन्हें टीएमसी समर्थक होने के कारण मेडिकल कॉलेजों से बाहर किया जा रहा था.

इस बीच, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अभिषेक के करीबी नेताओं पर भी निशाना साधा. 2 जनवरी को उन्होंने मंत्रियों ब्रत्य बसु और स्नेहाशिस चक्रवर्ती के साथ-साथ बीरभूम के जिला मजिस्ट्रेट की आलोचना की, जिसे पार्टी के बीरभूम प्रमुख और अभिषेक के समर्थक अनुव्रत मंडल को लेकर एक चेतावनी माना जा रहा है. अनुव्रत मंडल, जो पिछले सितंबर में जेल से बाहर आए थे, फिर से क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने में जुटे हैं. इस प्रकार, टीएमसी में ममता और अभिषेक के बीच का विवाद और पार्टी के भीतर बढ़ते मतभेद अब एक गंभीर मुद्दा बन गया है.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शिक्षा और परिवहन विभाग के कुछ कार्यों पर कड़ी नाराजगी जताई है. 2 जनवरी को एक बैठक के दौरान ममता ने शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु से सवाल किया कि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्राइमरी स्तर पर सेमेस्टर सिस्टम को लागू किया जा रहा है, लेकिन बिना उन्हें और मुख्य सचिव को सूचित किए यह नीति कैसे बनाई गई. ममता ने इस निर्णय पर गहरी आपत्ति जताई और इसे उचित प्रक्रिया के बिना लिया गया कदम बताया. इसके अलावा, ममता ने परिवहन विभाग की भी कड़ी आलोचना की. उन्होंने पूछा, “क्या मंत्री या सचिव कभी सड़कों पर निकलकर यह देखने की कोशिश करते हैं कि आम लोग किस स्थिति का सामना कर रहे हैं?”

टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता और कैबिनेट मंत्री ने बताया, “दीदी कुछ विभागों के प्रदर्शन से बेहद गुस्साई हुई थीं, लेकिन यह भी देखा गया कि उन्होंने अभिषेक के करीबी मंत्रियों के साथ ज्यादा नाराजगी जताई.” इसके साथ ही ममता ने बीरभूम के जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को भी डांटा, यह आरोप लगाते हुए कि वह एक विशेष जिला नेता को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं. बीरभूम में सभी जानते हैं कि अनुव्रत मंडल अभिषेक बनर्जी के काफी करीब हैं. जेल से जमानत पर बाहर आने के बाद, अनुव्रत मंडल फिर से बीरभूम में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं और इसी वजह से मुख्यमंत्री ने डीएम को फटकार लगाई.

हालांकि, स्नेहाशिस चक्रवर्ती ने ममता द्वारा की गई आलोचना को कम करके दिखाने की कोशिश की. उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “मुख्यमंत्री ने अपनी चिंताएं जाहिर कीं, लेकिन यह हमेशा जनता के हित में होता है, और यह बैठक में भी स्पष्ट था.” टीएमसी में इस समय पार्टी के भीतर शक्ति संघर्ष और विभागों की कार्यप्रणाली को लेकर ममता बनर्जी का गुस्सा बढ़ता जा रहा है, जो पार्टी के भीतर नेतृत्व को लेकर बढ़ती असहमति को जाहिर करता है.

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