आज से गुप्त नवरात्रि शुरू, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, किस दिन कौन सी देवी की आराधना
हिंदू धर्म में नवरात्रि का पर्व विशेष महत्व स्थान रखता है. नवरात्रि का पर्व साल में 4 बार मनाया जाता है, जिसमें से दो गुप्त नवरात्रि होती है और दो नवरात्रि व्यापक रूप से मनाई जाती है.
गुप्त रूप से बनाई जाने वाली नवरात्रि माघ और आषाढ़ माह में पड़ती हैं. वहीं, व्यापक रूप से मनाई जाने वाली नवरात्रि चैत्र और शारदीय नवरात्रि होती है. माघ माह की गुप्त नवरात्रि आज दिनांक 22 जनवरी 2023 दिन रविवार से शुरू हो रही है. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से जानेंगे इसका महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि.
गुप्त नवरात्र का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक और साधू मुख्य रूप से मां दुर्गा को प्रसन्न करते हैं. मान्यता के अनुसार इस गुप्त नवरात्रि में तांत्रिक 10 महाविद्याओं को प्रसन्न कर पूजा करते हैं. साथ ही गुप्त सिद्धियां और तांत्रिक सिद्धियां प्राप्त करते हैं. यह भी मान्यता है कि इस दौरान मां दुर्गा की पूजा जितनी गुप्त रखी जाती है उसका फल उतना ही ज्यादा प्राप्त होता है.
गुप्त नवरात्रि का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बताते हैं कि इस नवरात्रि की शुरुआत कामना पूर्ति करने वाले सिद्धि नामक शुभ योग में हुआ है. जिसका शुभारंभ सुबह 10:06 से अगले दिन सुबह 5:41 तक रहेगा.
घटस्थापना मुहूर्त सुबह 9 बजकर 59 मिनट से 10 बजकर 46 मिनट तक.
घटस्थापना अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से 12 बजकर 54 मिनट तक.
गुप्त नवरात्रि में किस दिन पूजी जाएंगी कौन सी देवी
22 जनवरी : घटस्थापना शैलपुत्री पूजा
23 जनवरी : ब्रह्मचारिणी पूजा
24 जनवरी : चंद्रघंटा पूजा
25 जनवरी : कूष्मांडा पूजा
26 जनवरी : स्कंदमाता पूजा
27 जनवरी : कात्यायनी पूजा
28 जनवरी : कालरात्रि पूजा
29 जनवरी : दुर्गा अष्टमी महागौरी पूजा
30 जनवरी : सिद्धिदात्री पूजा नवरात्र पारण
गुप्त नवरात्र पूजा विधि
गुप्त नवरात्रि के दौरान साधना और विधाओं की पूजा को विशेष माना गया है. नवरात्रि में तंत्र साधना की जाती है और गोपनीय तरीके से सब से छुपा कर पूजा की जाती है. गुप्त नवरात्रि में 9 दिन के लिए कलश स्थापना की जाती है. इस दौरान दोनों समय मंत्र जाप, दुर्गा चालीसा या सप्तशती का पाठ करें. सुबह शाम आरती करना शुभ माना जाता है. मां दुर्गा को दोनों समय लौंग और बताशा का भोग लगा सकते हैं. पूजा में मां दुर्गा को लाल फूल अवश्य अर्पित करें. साथ ही ध्यान रखें इस दौरान आक, मदार, दूब और तुलसी बिल्कुल भी ना चढ़ाएं पूरे 9 दिन अपना खानपान सात्विक रखें.