दुनिया के 10 देशों में बैठे हैं अमृतपाल के खालिस्तानी आका, उसके पाकिस्तान भागने के खोल सकते हैं रास्ते!

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खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह (Amritpal Singh) की फरारी को करीब एक माह होने का समय बीत गया है, लेकिन पुलिस उसे गिरफ्तार नहीं कर पाई है.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अमेरिका, कनाडा से लेकर ब्रिटेन सहित करीब दस देशों में बैठे उसके खालिस्तानी (Khalistani) आका अमृतपाल सिंह को बचाने में लगे हुए हैं. इस मामले से जुड़े जानकारों का कहना है कि केंद्रीय एजेंसियों के बार-बार अमृतपाल के पाकिस्तान भाग जाने के संकेत देने की एक वजह यह भी है कि सबसे पुराने खालिस्तानी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) सहित कुछ संगठन आईएसआई की रहमत पर पाकिस्तान के लाहौर में ही पल रहे हैं. एजेंसियों का यह भी कहना है कि विदेशों में बैठे खालिस्तानी नेता अमृतपाल को रसद और पैसे से मदद कर रहे हैं. जिससे वह किसी तरह पाकिस्तान पहुंच जाए. इसी कड़ी में पंजाब पुलिस ने अमृतपाल की पैसे, रसद और दूसरी मदद करने वाले कुछ लोगों को भी गिरफ्तार किया है.

बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) को बनाने की कवायद 1920 में बब्बर अकाली आंदोलन के दौरान शुरू हुई थी. हालांकि इसका हिंसक अवतार 13 अप्रैल, 1978 को निरंकारी और अखंड कीर्तनी जत्था के कार्यकर्ताओं के बीच सांप्रदायिक झगड़े के बाद सामने आया था. इस झड़प में अखंड कीर्तनी जत्था प्रमुख फौजा सिंह की मौत हो गई थी. इसके बाद 1979-80 के दौरान सुखदेव सिंह बब्बर और तलविंदर सिंह परमार के नेतृत्व में अखंड कीर्तनी जत्था के सदस्यों ने बीकेआई का गठन किया गया था. बीकेआई के कम से कम दो ज्ञात गुट हैं. पहला किरच गुट 1992 में बना था, जब बीकेआई के सह-संस्थापक तलविंदर सिंह परमार मुख्य संगठन से अलग हो गए और बब्बर खालसा परमार का गठन किया गया था. एजेंसियों के मुताबिक एक इस संगठन के सदस्य अमृतपाल को पाकिस्तान पहुंचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा देंगे. चूंकि अब उसके सरेंडर करने की संभावनाए भी कम होती नजर आ रही हैं.

इन देशों में है नेटवर्क

बब्बर खालसा परमार गुट की मौजूदगी मुख्य रूप से यूरोप में ब्रिटेन, जर्मनी, बेल्जियम और स्विटजरलैंड के साथ-साथ उत्तरी अमेरिका में भी है. 2017 के बाद से जत्था बीर खालसा के रूप में पहचाना जाने वाला बीकेआई का एक और टूटा हुआ गुट अस्तित्व में आया है. पंजाब में सक्रिय होने के अलावा बीकेआई की विदेशों में भी मौजूदगी है. BKI ने 1979 में कनाडा में अपनी पहली विदेशी इकाई का गठन किया था. BKI की उपस्थिति ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, बेल्जियम, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, पुर्तगाल और पाकिस्तान में बताई गई है और थाईलैंड और मलेशिया में भी इसकी उपस्थिति और जुड़ाव है. यूके, जर्मनी, बेल्जियम, यूएसए और कनाडा के छोटे बैचों में 100 से अधिक सिख युवाओं को समय-समय पर बीकेआई द्वारा प्रशिक्षित किया गया है.

2018 में पाकिस्तान में खुल गया था एसएफजे का ऑफिस

सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) को भारत सरकार ने 10 जुलाई, 2019 को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के प्रावधान 3 (1) के तहत एक गैरकानूनी संघ घोषित किया है. इसका मुख्य प्रमोटर गुरपतवंत सिंह पन्नू न्यूयॉर्क में एक वकील है. पाकिस्तान ने 23 नवंबर, 2018 को एसएफजे को लाहौर में अपना कार्यालय खोलने की अनुमति दी थी. एजेंसियों का कहना है कि SFJ अपने खालिस्तान समर्थक अभियान को बढ़ावा देने के लिए पाकिस्तान में कई गुरुद्वारों का उपयोग करता है. क्योंकि यह जनमत संग्रह से संबंधित पर्चे बांटता है. एसएफजे ने ऐतिहासिक करतारपुर कॉरिडोर को ‘खालिस्तान का पुल’ करार दिया है और पाकिस्तान में करतारपुर साहिब कन्वेंशन-2019 की घोषणा की थी. गुरपतवंत सिंह पन्नू का पाकिस्तान में जबरदस्त नेटवर्क है और अमृतपाल को पाकिस्तान पहुंचाने के लिए वित्तीय से लेकर हर तरह की सहायता पहुंचा सकता है.

कट्टरपंथियों की भर्ती और हमलों की साजिश करने वाले भी पाक में

खालिस्तानी लिबरेशन फोर्स KLF की 1990 के दशक तक पंजाब में सक्रियता थी. पंजाब में केएलएफ के संचालन के मुख्य इलाकों में तरनतारन, मजीठा, बटाला, लुधियाना, पटियाला, कपूरथला, फिरोजपुर और संगरूर थे. 1992 में तत्कालीन केएलएफ ‘प्रमुख’ प्रीतम सिंह सेखों पाकिस्तान चला गया था. KLF के वर्तमान नेता हरमीत सिंह को 2008 से लाहौर में गुरुद्वारा बीबी नानकी में मौजूद बताया जाता है. KLF को सोशल मीडिया का उपयोग कट्टरपंथियों की भर्ती और हमलों की योजना बनाने के लिए भी किया जाता है. KLF स्वचालित हथियारों और इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) का इस्तेमाल कर नागरिकों, सुरक्षा बलों पर हमले में शामिल रहा है. संगठन ने मुख्य रूप से आईईडी और छोटे हथियारों का इस्तेमाल बड़े पैमाने वाहनों और रेलवे के बुनियादी ढांचे को निशाना बनाने के लिए किया है. एजेसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि इस संगठन से जुड़े पंजाब में रह रहे निष्क्रिय सदस्य भी अमृतपाल की मदद कर सकते हैं और उसके पाक भागने का रास्ता साफ कर सकते हैं.

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