झारखंड चुनाव: NDA में सीट शेयरिंग का फॉर्मूला फाइनल, क्या बैकफुट पर आई बीजेपी, सुदेश महतो क्यों हैं अहम?

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झारखंड में 81 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव इस साल के अंत में होने की संभावना है. इसको लेकर एनडीए और महागठबंधन खेमे की ओर से तैयारियां तेज कर दी गईं हैं.

इस क्रम में भाजपा की ओर से घोषणा की गई है कि वह झारखंड में ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन यानी आजसू और जनता दल युनाइटेड यानी जदयू के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ेगी. सीटों के समझौते के फाइनल होने की बात भी हिमंत बिस्व सरमा ने कही है. सूत्रों से जो खबर है इसके तहत आजसू इस चुनाव में बड़ा हिस्सा लेने जा रहा है और बीजेपी के बैकफुट पर होने की खबर है. लेकिन, सवाल यह है कि आखिर बीजेपी बैकफुट पर क्यों आने को मजबूर हो रही है? इसके पहले जानते हैं कि हेमंत बिस्व सरमा ने सीटों के फाइनल फॉर्मूले पर क्या कहा.

झारखंड विधानसभा चुनाव के सह प्रभारी असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने शनिवार को मीडिया को बताया कि भाजपा झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव एनडीए के सहयोगी आजसू पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) के साथ गठबंधन में लड़ेगी. हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि सहयोगी दलों के साथ 99 प्रतिशत सीटों के बंटवारे का समझौता हो चुका है और शेष एक या दो सीट के लिए चर्चा जारी है. 2 अक्टूबर को समाप्त हो रहे पितृपक्ष के बाद फाइनल फॉर्मूले की घोषणा कर दी जाएगी. वहीं, सूत्रों से भी बताया जा रहा है कि NDA में शेयरिंग का फार्मूला लगभग तय है और आजसू को बड़ी भागीदारी मिल सकती है, वहीं जदयू एक या दो सीट पर चुनाव लड़ सकता है. हालांकि, सीट शेयरिंग को लेकर “फाइनल टच” और इस पर फैसला पितृपक्ष के बाद ही हो पाएगा.

दावेदारी-हिस्सेदारी पर जिच

इस बीच सूत्रों से खबर है कि बीजेपी 6 से 9 सीट आजसू को देने के पक्ष में है, लेकिन आजसू की दावेदारी 13 से 15 सीटों की है. वहीं, दूसरा फॉर्मूला यह भी सामने आ रहा है कि आजसू डबल डिजिट में सम्मानजनक फार्मूले की बात कह रहा है और कम से कम 13 सीटों की दावेदारी पर अड़ा है. इस बीच खबर है कि आजसू को करीब 10 या 11 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिल सकता है. मोटे तौर पर जो खबरें आ रही हैं इसके अनुसार, भाजपा 68 या 69 सीटों पर, आजसू 11 सीटों पर, जदयू 1 या 2 सीटों पर और लोजपा अगर साथ रहती है तो वह 1 सीट पर चुनाव लड़ सकती है. बता दें कि सीट शेयरिंग को लेकर दिल्ली में कई दौर की वार्ता हो चुकी है. चूंकि एनडीए में गठबंधन परिवार बड़ा हो गया है इस कारण सभी पार्टियों की सीटों में कटौती हो सकती है. लेकिन, सवाल यह है कि आखिर यह कुर्बीनी बीजेपी को ही देनी पड़ेगी या आजसू मान जाएगा? सवाल आजसू और बीजेपी के बीच डील को लेकर है कि क्या सुदेश महतो मान जाएंगे? और सवाल यह भी कि सुदेश महतो बीजेपी के लिए इतने अहम क्यों हैं?

बीजेपी सुदेश को क्यों चाहती है?

दरअसल, बीजेपी चाहती है कि सुदेश महतो किसी भी सूरत में एनडीए का हिस्सा बने रहें. ऐसा इसलिए कि वर्ष 2019 के झारखंड विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे को लेकर भाजपा और आजसू के बीच बात नहीं बन पाई तो आजसू ने बीजेपी से अलग हटकर खुद के दम पर चुनाव लड़ा था. इसके बाद आजसू ने 52 सीटों पर अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे लेकिन, इस अहम की लड़ाई का नुकसान दोनों ही पार्टियों को हुआ और एनडीए सत्ता से बाहर हो गया. 81 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी 28 सीटें ही जीत पाई तो आजसू को दो सीटें हाथ लगी थी. हालांकि, बाद में दोनों पार्टियां साथ आईं और 2029 लोकसभा चुनाव में साथ मिलकर मैदान में उतरीं. बीजेपी ने झारखंड में 13 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे तो वहीं आजसू को एक सीट दी गई थी.

आजसू के साथ बीजेपी होती है मजबूत

बता दें कि 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा, आजसू और लोजपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था जिसमें एनडीए को 42 सीटों पर जीत मिली थी, जिसमें भाजपा 37 और आजसू 5 सीटें जीतने में सफल रही थी. इस चुनाव में भाजपा 72, आजसू 8 और लोजपा 1 सीट पर चुनाव लड़ी थी. राजनीति के जानकार बताते हैं कि आजसू का महत्व बीजेपी के लिए इसलिए भी है क्योंकि यहां कुर्मी वोटों का एक समीकरण भाजपा के साथ बनता है क्योंकि सुदेश महतो इसी जाति से आते हैं. वहीं, जदयू के नेता नीतीश कुमार भी इसी जाति से आते हैं, लेकिन झारखंड में इस पार्टी का उतना बड़ा जनाधार नहीं है. ऐसे में जदयू को एक या दो सीट पर मनाया जा सकता है. कहा जा रहा है कि सरयू राय वाली पूर्वी सिंहभूम या पश्चिमी सिंहभूम सीट जदयू के खाते में जा सकती है.

कुर्मी वोटरों पर सबका फोकस

झारखंड में कुर्मी वोटर निर्णायक भूमिका में होते हैं इसलिए सभी पार्टियां कुर्मी पर फोकस कर रही हैं. कांग्रेस ने केशव महतो कमलेश को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया है. वहीं, जेएमएम की पहले से ही कुर्मी वोट पर अच्छी पकड़ है. इस स्थिति में बीजेपी ने आजसू के साथ चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है. बता दें कि झारखंड में 26% आदिवासी वोट के बाद सबसे अधिक कुर्मी वोटरों का है जो कि कुल वोट का करीब 16% है. गिरिडीह, धनबाद, रांची हजारीबाग और जमशेदपुर जैसे जिलों इनकी सबसे अधिक आबादी है. वहीं, वास्तविकता यह है कि सुदेश महतो का प्रभाव क्षेत्र रांची के आस पास के इलाकों में ही अधिक है. लेकिन, भाजपा के लिए सुदेश इसलिए महत्वपूर्ण हो जाते हैं क्योंकि अब जेबीकेएसएस पार्टी ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है.

कुर्मी वोटों पर बीजेपी की नजर

दरअसल, विधानसभा चुनाव 2019 तक कुर्मी वोट की दावेदारी करती सुदेश महतो की आजसू पार्टी ही नजर आती थी. लेकिन, वर्ष 2024 लोकसभा चुनाव में जयराम महतो वाली झारखंडी भाषा-खतियान संघर्ष समिति यानी JBKSS ने सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है. आजसू और JBKSS का फोकस गिरिडीह, धनबाद, रांची हजारीबाग और जमशेदपुर जैसे जिलों पर है, जहां औसतन 16% कुर्मी आबादी रहती है. हालांकि, आजसू चुनावी माहौल में JBKSS को बड़ा फैक्टर नहीं मानकर चल रहा. लेकिन, सत्ताधारी महागठबंधन को आजसू का नुकसान साफ होता नजर आ रहा है.

इस नेता ने बनाया था आजसू

बता दें कि आजसू की स्थापना जेएमएम नेता निर्मल महतो ने की थी और वो लंबे समय तक जेएमएम के साथ रहे थे. बाद में आजसू में भी कई बार टूट हुई. वर्ष 2000 के बाद से सुदेश महतो आजसू का नेतृत्व कर रहे हैं. 2007 में सुदेश महतो ने पार्टी का पुनर्गठन किया था. गौरतलब है कि आजसू कुछ मौकों को छोड़कर साल 2000 से अब तक लगातार एनडीए के साथ रहा है. हाल में हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी गिरिडीह सीट जीतने में कामयाब रही. वहीं, भाजपा आजसू को लेकर इसलिए सचेत है क्योंकि सुदेश महतो के साथ रहने से उनके वोट में उतना डेंट नहीं लगेगा जितनी कि महागठबंधन खेमा उम्मीद कर रहा है.

सीट शेयरिंग पर डील फाइनल!

बहरहाल, हिमंत बिस्व सरमा के अनुसार, झारखंड एनडीए में सीट शेयरिंग पर बात फाइनल हो चुकी है अब घोषणा मात्र बाकी है. बता दें कि इससे पहले भी गृह मंत्री अमित शाह के साथ सुदेश महतो इस मुद्दे पर टेबल शेयर कर चुके हैं. अमित शाह से मुलाकात के पहले आजसू प्रमुख सुदेश महतो और हिमंता बिस्वा सरमा की सीट शेयरिंग को लेकर अलग से भी बैठक हुई थी. हिमंत बिस्व सरमा ने शनिवार को भी साफ कर दिया है कि पितृपक्ष के बाद सीट शेयरिंग का ऐलान कर दिया जाएगा.

झारखंड में कुल कितने मतदाता?

चुनाव आयोग के झारखंड दौरे के बाद और विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट के बीच बता दें कि वर्तमान में झारखंड में कुल 2 करोड़ 59 लाख मतदाता हैं. इनमें से एक करोड़ 31 लाख पुरुष और एक करोड़ 28 लाख महिला वोटर हैं. आने वाले विधानसभा चुनाव में 29562 पोलिंग स्टेशन बनाने की तैयारी की गई है, जो कि 20276 अलग-अलग जगह पर बनाए जाएंगे. झारखंड में कुल 81 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से 44 सामान्य, सात अनुसूचित जाति और 28 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रहेंगी.

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