एजबेस्टन में टीम इंडिया की ‘डूबी लुटिया’, जसप्रीत बुमराह की कप्तानी में कमी से लेकर इन पांच वजहों से गंवाया मैच

0 131

टेस्ट क्रिकेट के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब टीम इंडिया के खिलाफ किसी टीम ने टेस्ट क्रिकेट में 378 रनों का बड़ा टारगेट हासिल कर लिया हो।

इंग्लैंड ने ना सिर्फ यह टारगेट हासिल किया, बल्कि जिस तरह से एकतरफा तरीके यह टारगेट हासिल किया, उसने टीम इंडिया की कई कमियों को जगजाहिर कर दिया है। रोहित शर्मा की गैरमौजूदगी में इस मैच के लिए कमान जसप्रीत बुमराह को सौंपी गई थी। बुमराह ने जिस तरह से इंग्लैंड की पहली पारी में कप्तानी की, उससे सभी प्रभावित हुए थे, लेकिन दूसरी पारी में उनके अंदर अनुभव की कमी साफ नजर आई।

भारत ने पहली पारी में 416 रन बनाकर इंग्लैंड को पहली पारी में 284 रनों पर समेट दिया था। इसके बाद टीम इंडिया दूसरी पारी में महज 245 रनों पर ही ऑलआउट हो गई। 378 रनों का टारगेट बहुत बड़ा देखने में तो लग रहा था, लेकिन जो रूट और जॉनी बेयरेस्टो ने जिस तरह से रनों का पीछा किया, उसके हिसाब से तो 500 का टारगेट भी कम ही होता। जो रूट 142 और बेयरेस्टो 114 रन बनाकर नॉटआउट लौटे। इंग्लैंड ने सात विकेट से मैच जीता और साथ ही सीरीज में 2-2 से बराबरी हासिल की। 2021 में शुरू हुई टेस्ट सीरीज का ऐसा अंत शायद ही किसी भारतीय क्रिकेट फैन ने सोचा होगा।

चलिए एक नजर डालते हैं, टीम इंडिया के हार के पांच सबसे बड़े कारणों पर-

आर अश्विन का प्लेइंग XI में नहीं खेलना

आर अश्विन को प्लेइंग इलेवन में शामिल नहीं किया जाना। एजबेस्टन की पिच स्पिन फ्रेंडली होती है, ऐसे में चार तेज गेंदबाजों के साथ उतरना टीम इंडिया को भारी पड़ा। अश्विन जिस तरह के गेंदबाज हैं, वह बड़े से बड़े बल्लेबाजों को चारों खाने चित कराना जानते हैं। एजबेस्टन टेस्ट के प्लेइंग XI में उनका नहीं होना टीम इंडिया को काफी भारी पड़ा।

पहली पारी में टॉप ऑर्डर बैटिंग फ्लॉप

पहली पारी में टीम इंडिया ने 98 रनों तक पांच विकेट गंवा दिए थे। शुभमन गिल, चेतेश्वर पुजारा, हनुमा विहारी, विराट कोहली और श्रेयस अय्यर इन सभी का हथियार डाल देना। ऋषभ पंत और रविंद्र जडेजा ने अगर शतक नहीं लगाए होते और बुमराह ने स्टुअर्ट ब्रॉड की एक ओवर में बैंड नहीं बजाई होती, तो टीम इंडिया इस मैच में कभी आगे हो ही नहीं पाती।

इंग्लैंड को पहली पारी में वापसी का मौका देना

416 रनों का स्कोर बनाने के बाद टीम इंडिया ने 83 रनों तक इंग्लैंड के पांच बल्लेबाजों को पवेलियन भेज दिया था। जॉनी बेयरेस्टो भी पूरे रंग में नहीं दिख रहे थे। विराट कोहली की स्लेजिंग ने बेयरेस्टो को पता नहीं कौन सी घुट्टी पिला दी, कि उसके बाद तो उन्होंने रुकने का नाम ही नहीं लिया। बेयरेस्टो की सेंचुरी से ही इंग्लैंड ने पहली पारी में वापसी कर ली थी। लेकिन बेयरेस्टो की पहली पारी तो महज ट्रेलर था। ऐसा लग रहा था कि भारत कम से कम 200 की बढ़त हासिल करेगा, लेकिन बेयरेस्टो ने टीम इंडिया के इस सपने को पूरा नहीं होने दिया।

दूसरी पारी में बैटिंग को लेकर ढ़ीला रवैया

पहली पारी के आधार पर मिली बढ़त के बाद टीम इंडिया के बल्लेबाज दूसरी पारी में काफी ज्यादा कंफर्टेबल होते दिखे। चेतेश्वर पुजारा और ऋषभ पंत को छोड़कर किसी ने भी पचास का आंकड़ा पार नहीं किया। भारत की दूसरी पारी में बैटिंग में ढीला रवैया। शॉर्ट गेंदों पर एक बार फिर घुटने टेकना, ये कुछ ऐसी गलतियां थीं, जिसकी भरपाई भारत को मैच गंवाकर ही करनी पड़ रही है।

खराब फील्डिंग और पहले ही से ही दबाव में आना

ब्रेंडन मैक्कलम जब से इंग्लैंड के हेड कोच बने हैं, एक बात तो साफ है, इस टीम ने दबाव का मतलब ही अपनी डिक्शनरी से हटा दिया है। 378 रनों के टारगेट को जिस तरह से इंग्लिश बल्लेबाजों ने हासिल किया, वह पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है। इंग्लैंड को शतकीय साझेदारी सलामी बल्लेबाजों ने दी, लेकिन इसके बाद जल्दी-जल्दी तीन विकेट भी गिरे। जो रूट और जॉनी बेयरेस्टो को लेकर टीम इंडिया ने जो फील्ड सेटिंग की, उसमें बुमराह की अनुभवहीनता साफ नजर आई। टीम इंडिया बाउंड्री बचाने में लगी थी, इन दोनों ने सिंगल-डबल लेकर मैच भारत की पहुंच से बाहर निकाल दिया। बेयरेस्टो जिस तरह की फॉर्म में हैं, उन्हें एक जीवनदान देना भी खतरे से खाली नहीं और भारतीय टीम ने तो इन्हें दो-दो जीवनदान दे डाले। इंग्लैंड की तारीफ बिल्कुल करनी होगी, लेकिन जिस तरह से टीम इंडिया ने मेजबानों को यह जीत गिफ्ट में दी है, उसे लेकर टीम के प्रदर्शन की समीक्षा जरूर होनी चाहिए।

Leave A Reply

Your email address will not be published.