’35-40 नए फाइटर जेट हर साल चाहिए’, IAF चीफ का प्लान, हवा में धूल चाटेंगे चीन-पाक! भारत बनेगा ‘आसमान का सिकंदर’
भारतीय वायुसेना (IAF) को अपनी क्षमता बनाए रखने के लिए हर साल 35 से 40 नए लड़ाकू विमानों की जरूरत है. एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने यह बात ‘चाणक्य डायलॉग’ के दौरान कही.
उन्होंने बताया कि आने वाले वर्षों में मिराज, मिग-29 और जगुआर जैसे पुराने लड़ाकू विमान सेवा से बाहर हो जाएंगे, जिससे फाइटर जेट्स की भारी कमी हो सकती है. वायुसेना प्रमुख ने कहा कि अगर भारतीय वायुसेना को अपनी ऑपरेशनल क्षमता बनाए रखनी है, तो उसे हर साल दो स्क्वाड्रन (यानी 35-40 विमान) जोड़ने होंगे. उन्होंने कहा, “यह लक्ष्य हासिल करना असंभव नहीं है, लेकिन इसके लिए हमें मौजूदा उत्पादन क्षमता बढ़ाने की जरूरत होगी.” हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) अगले साल 24 तेजस मार्क-1ए जेट्स तैयार करने का वादा कर चुका है. इस पर एयर चीफ मार्शल ने संतोष जताते हुए कहा कि यह एक सकारात्मक कदम है, लेकिन हमें और तेज गति से काम करना होगा.
निजी क्षेत्र की भागीदारी पर जोर
IAF प्रमुख ने इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी का सुझाव दिया. उन्होंने टाटा और एयरबस के संयुक्त उद्यम द्वारा बनाए जा रहे C-295 ट्रांसपोर्ट विमान का उदाहरण दिया और कहा कि इसी तरह फाइटर जेट्स के उत्पादन में भी निजी कंपनियों को शामिल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा, “अगर हम निजी भागीदारी से 12-18 जेट्स प्रतिवर्ष प्राप्त कर सकते हैं, तो यह हमारे लिए एक बड़ा फायदा होगा.” इससे देश में रक्षा उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा और आयात पर निर्भरता कम होगी.
सप्लाई में देरी बनी टेंशन का सबब
वायुसेना प्रमुख ने लड़ाकू विमानों की आपूर्ति में हो रही देरी को लेकर भी चिंता जताई. HAL पहले ही यह स्वीकार कर चुका है कि तेजस मार्क-1ए की सप्लाई में देरी हो रही है. हालांकि, कंपनी ने आश्वासन दिया है कि मार्च 2025 से अमेरिका से F-404 इंजन मिलने शुरू हो जाएंगे, जिससे उत्पादन में तेजी आएगी. एचएएल के मुताबिक, 2025-26 में भारतीय वायुसेना को कुल 12 तेजस मार्क-1ए विमान मिल जाएंगे. लेकिन वायुसेना को अपनी ऑपरेशनल जरूरतों को पूरा करने के लिए और अधिक विमानों की आवश्यकता होगी.
भारतीय वायुसेना की स्क्वाड्रन ताकत बढ़ाने के लिए तेजस मार्क-2, एमआरएफए (मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट) और अन्य स्वदेशी परियोजनाओं को प्राथमिकता देने की जरूरत होगी. इसके अलावा, राफेल और सुखोई-30 एमकेआई जैसे विमानों के अपग्रेड पर भी ध्यान दिया जा रहा है. रक्षा मंत्रालय और HAL के बीच तेजस मार्क-1ए के लिए 83 विमानों का सौदा पहले ही हो चुका है, लेकिन IAF को और अधिक जेट्स की जरूरत होगी. निजी कंपनियों की भागीदारी इस कमी को दूर करने में अहम भूमिका निभा सकती है.
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