रूस के 300KM अंदर यूक्रेन का अटैक, कैसे जेलेंस्की ने मारी बाजी; पुतिन पर पड़ रहे भारी

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यूक्रेन की सेना रूस में 30 किलोमीटर अंदर तक घुस गई है. यह दावा खुद रूस ने किया है. रूसी रक्षा मंत्रालय के मुताबिक क्रुस्क इलाके में पिछले 6 दिनों से यूक्रेन की सेना से भीषण जंग चल रही है.

पिछले हफ्ते ही टैंक और तोपखाने से लैस करीब 1000 यूक्रेनी सैनिक इस इलाके में घुस गए थे और स्थानीय गांवों पर कब्जा कर रहे हैं. रूस अब इनसे निपटने के लिए और सैनिक भेज रहा है.

उधर, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की (Volodymyr Zelenskyy) ने 11 अगस्त की रात पहली बार अपने देश को संबोधित किया और स्वीकार किया कि यूक्रेन की सेना, रूस के अंदरूनी इलाके में तेजी से आगे बढ़ रही है.

जेलेंस्की ने कहा कि हाल के दिनों में रूस इसी क्रुस्क इलाके से पुरुष उसपर हमले कर रहा था और करीबन 2000 अटैक किए थे. इसलिए जवाबी कार्रवाई की जा रही है. BBC की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन की सेना क्रुस्क में काफी अंदर तक घुस गई है. रूस के उन ठिकानों को भी निशाना बना रही है, जहां हथियार, गोला बारूद और बम रखे गए थे. यूक्रेन, जिस तरीके से रूसी सीमा में घुसकर ऑफेंसिव लड़ाई लड़ रहा है उससे तमाम रक्षा विशेषज्ञ भी चौंक गए हैं.

कैसे यूक्रेन ने पलटी बाजी?

करीब ढाई साल पहले, फरवरी 2022 में जब रूस और यूक्रेन की लड़ाई शुरू हुई थी, तब यह एकतरफा मानी जा रही थी. रूस का पलड़ा भारी था. सेना से लेकर हथियार के मामले में यूक्रेन उसके आगे कहीं नहीं ठहरता, लेकिन अब यूक्रेन का पलड़ा भारी नजर आने लगा है. foreignpolicy की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन की सेना की सबसे बड़ी ताकत उसके ड्रोन बनकर उभरे हैं. पिछले दिनों यूक्रेन ने ड्रोन से ही रूस की सीमा में 300 किलोमीटर अंदर लिपियस्क एयरबेस पर हमला किया.

कई फाइटर जेट, हेलीकॉप्टर और हथियारों के गोदाम तबाह कर दिये. यूक्रेन (Russia Ukraine War) अपने पूर्वी मोर्चे पर भी रूसी सेना को रोकने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल करता रहा है, लेकिन इतने बड़े पैमाने पर रूस के अंदर घुसकर यह पहला अटैक था.

24*7 अंडरग्राउंड कमांड सेंटर

बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन के खारकीव नें अंडरग्राउंड कमांड सेंटर के अंदर नेशनल गार्ड्स की ड्रोन टीम 24 घंटे काम करती है. यह टीम दुश्मन के ठिकानों, उनकी आवाजाही और उनकी बख्तरबंद गाड़ियों पर निगाह रखती है. स्मॉल टार्गेट के लिए छोटे ड्रोन का इस्तेमाल करती है, जो 2 से 3 किलो तक विस्फोटक ले जा सकते हैं. एक तरीके से ड्रोन की लड़ाई में यूक्रेन ने बाजी मार ली है. यूक्रेन को अमेरिका से लेकर तमाम नाटो देशों से ड्रोन मिल रहा है.

पैसे और हथियार ने बदली लड़ाई

यूक्रेन की ताकत के पीछे सबसे बड़ा हाथ अमेरिका का है, जो लड़ाई की शुरुआत से ही उसे आर्थिक मदद से लेकर हथियार दे रहा है. इसी अप्रैल में अमेरिकी संसद में यूक्रेन को 60 अरब डॉलर की मदद का बिल पारित हुआ. इससे पहले पिछले दो सालों में अमेरिका यूक्रेन को 40 अरब डॉलर की मदद दे चुका है. इसके अलावा अमेरिका, यूक्रेन को पायट्रिक मिसाइल और हायमर रॉकेट जैसे मॉडर्न हथियार दे रहा है, जो रूस से कहीं बेहतर हैं. अमेरिका के अलावा तमाम और नाटो देश भी यूक्रेन को आर्थिक सहायता से लेकर हथियार दे रहे हैं, जो उसके लिए गेम चेंजर साबित हो रहा है.

2014 के बाद बदली है रणनीति

foreignpolicy.com की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2014 में जब रूस ने पहली बार यूक्रेन पर अटैक किया था, उसके बाद से यूक्रेन ने अपनी मिलिट्री स्ट्रेटजी में बहुत बदलाव किया है. एक तरीके से पहली बार सोवियत की छाया से निकलकर एक नाटो देश की तरह अपनी मिलिट्री स्ट्रेटजी बनाने शुरू की. अमेरिका से लेकर वेस्ट के तमाम एक्सपर्ट्स को मिलिट्री ट्रेनिंग के लिए हायर किया, जो रूस से लड़ाई में उसके लिए मददगार साबित नजर आ रहा है.

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