जान ही क्यों ना जाए, ज्ञानवापी में जलाभिषेक करूंगी; बोलीं किन्नरों की पहली महामंडलेश्वर

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किन्नरों की प्रथम महामंडेश्वर हिमांगी सखी भी ज्ञानवापी विवाद में कूद पड़ी हैं। उन्होंने ऐलान कर दिया है कि वे बनारस में विश्वेश्वर ज्ञानवापी महादेव में 8 अगस्त को पहुंचेंगी और सावन के अंतिम सोमवार को वहां जलाभिषेक करेंगी।

उनका कहना है कि जब मुस्लिमों को वजू करने की इजाजत, तो हम भी जलाभिषेक करेंगे। जबलपुर में भक्तों के बीच पहुंचीं महामंडलेश्वर ने कहा कि अब हमने ऐलान कर दिया है, भले ही इसके लिए हमारे प्राण ही क्यों न चले जाएं, वे ज्ञानवापी में जलाभिषेक जरूर करेंगी।

यह है ज्ञानवापी का विवाद

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मुगल बादशाह औरंगजेब के आदेश पर मंदिर का हिस्सा गिराकर मस्जिद बनाई गई थी। वहीं कुछ इतिहासकारों का दावा है कि मुगल बादशाह अकबर ने अपने दीन-ए-इलाही धार्मिक व्यवस्था पर जागरुकता फैलाने के लिए यहां ज्ञानवापी मस्जिद और काशी विश्वनाथ मंदिर का एक साथ निर्माण करवाया था। 1991 में स्थानीय पुजारियों ने वाराणसी कोर्ट में एक याचिका दायर की थी।

इस याचिका में याचिकाकर्ताओं ने ज्ञानवापी मस्जिद एरिया में पूजा करने की इजाजत मांगी। हाल ही में वाराणसी की एक अदालत के आदेश के बाद आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने ज्ञानवापी मस्जिद का तीन दिन का सर्वे कराया। अब सर्वे की रिपोर्ट कोर्ट में है और फैसला आना बाकी है। वहीं हिंदू पक्ष का कहना है कि सर्वे के दौरान मस्जिद के अंदर शिवलिंग मिल गया है, जबकि मुस्लिम पक्ष इन दावों को खारिज कर रहा है।

यह भी है एक तथ्य

इतिहासकारों की मानें तो काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण मालवा राजघराने की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने अपने कार्यकाल में करवाया था। हिंदुओं का दावा है कि मस्जिद परिसर में हिंदू देवी देवताओं की मूर्तियां मौजूद हैं और उन्हें ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में पूजा की इजाजत दी जाए।

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