गणेश चतुर्थी की तैयारियां जोरों पर, मंदिर से लेकर मंडप तक के लिए गणेश जी हो रहे तैयार

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गणेश चतुर्थी का पर्व नजदीक आते ही पर्व की तैयारी भी जोरों से शुरू हो चुकी हैं. जहां बाजारों में दुकानों पर अब गणेश जी की प्रतिमाएं नजर आने लगी हैं तो वहीं पर मोहल्ले, गांव, कॉलोनी में गणेश जी की प्रतिमा बैठने के लिए भी तैयारियां जोरों से शुरू हो चुके हैं.

इसके लिए झुंझुनू के गणेश मंदिर के पास गणेश जी की प्रतिमाएं तैयार की जा रही है जो कि पूरी तरीके से इको फ्रेंडली प्रतिमाएं हैं.

झुंझुनू के गणेश मंदिर के पास मूर्ति बना रहे बलराम ने बताया कि वह असम से झुंझुनू में आकर प्रतिमाएं बनाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वह झुंझुनू के नजदीकी गांव सोनासर से चिकनी मिट्टी लेकर आते हैं. इसके अलावा घास परली इत्यादि से गणेश जी का आकार दिया जाता है. उसके बाद इसमें संगर की जो सामग्री काम में ली जाती है वह सामग्री वे कोलकाता से मंगवाते हैं. उन्होंने बताया कि उनके गणेश प्रतिमा की खास बात यह है कि विसर्जन के समय उनकी यह प्रतिमा पूरी तरीके से प्रवाहित हो जाती है जबकि पीओपी से बनाए जाने वाली प्रतिमाएं पूरी तरीके से विसर्जित नहीं होती है जो कि पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचती हैं.

खास तरीके से तैयार की जाती हैं प्रतिमाएं

बलराम ने बताया कि वे पिछले 40 साल से यहां पर प्रतिमाएं बनाने का काम कर रहे हैं. वे हर साल सौ के लगभग मूर्तियों को तैयार करते हैं जिनमें 2 फीट से लेकर 12 से 13 फीट तक के आकार की प्रतिमा तैयार की जाती है, साथ में ही अभी उनके पास कई प्रतिमाओं के ऑर्डर आ चुके हैं जो कि गणेश पंडाल में पूजा के काम में ली जाएगी. गणेश प्रतिमाओं की कीमत के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि उनकी साइज के अनुसार इनकी कीमत रहती है इनके पास ₹100 से लेकर ₹10000 तक की प्रतिमाएं मिल जाती हैं. प्रतिमा बनाने के लिए सबसे पहले यह मिट्टी के घोल को तैयार करते हैं फिर इनके द्वारा लाई गई पराली या घास फूस से गणेश का आकार दिया जाता है. उसके पश्चात उसकी मिट्टी के साथ में तैयार किया जाता है यह सूखने के बाद में इसके ऊपर कलर किया जाता है. यह प्रतिमाएं लोगों को अपनी ओर काफी आकर्षित करती हैं वह हर सीजन की अच्छी खासी प्रतिमाएं उनकी बिक जाती हैं.

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