बंगाल के मालदा में जबरन धर्म परिवर्तन का मामला, कलकत्ता हाई कोर्ट ने सीबीआई और एनआईए को सौंपी जांच

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पश्चिम बंगाल के मालदा में दो महिलाओं ने कलकत्ता हाईकोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की है, जिसमें उनके पतियों के जबरन इस्लाम धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया गया है। मामले का संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने एनआईए और सीबीआई को घटना की जांच के आदेश दिए हैं।

दोनों महिलाओं की ओर से दायर याचिका के मुताबिक, उनके पति पिछले साल 24 नवंबर को लापता हो गए थे। जब महिलाएं पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराने गईं, तो एक शख्स ने उनकी शिकायत को यह कहकर फाड़ दिया कि दोनों के पतियों ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया है। महिलाओं का आरोप है कि इसके बाद, उन्होंने मालदा के एसपी ऑफिस में शिकायत दर्ज कराई लेकिन उन्होंने भी कोई कार्रवाई नहीं की।

दरअसल, दोनों याचिकाकर्ता बहनें हैं और उनके पति भी आपस में भाई हैं। दोनों महिलाओं का आरोप है कि उनके पतियों ने विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी के लिए काम किया था, जो चुनाव हार गई थी। 24 नवंबर 2021 को अपने पति के लापता होने के बाद याचिकाकर्ताओं ने मोथाबारी और कालियाचक पुलिस थानों में भी शिकायत दर्ज कराई थी।

हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से पेश अधिवक्ता मोहम्मद गालिब ने कहा कि पारिवारिक विवादों के कारण याचिकाकर्ताओं के पति उन्हें छोड़कर मालदा के प्रतापपुर में रह रहे हैं। उन्होंने कहा कि दो लोगों ने स्वेच्छा से इस्लाम धर्म अपना लिया है। यहां तक ​​कि उन्होंने अपने घर लौटने से भी इनकार कर दिया है।

मोहम्मद गालिब ने अदालत को यह भी बताया कि उनके पतियों ने धारा 164 के तहत गवाही दी है कि उन्होंने स्वेच्छा से इस्लाम धर्म अपना लिया है।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायमूर्ति राजशेखर मंथा की एकल पीठ ने मामले की जांच सीबीआई और एनआईए को सौंप दी है। साथ ही एसपी मालदा को मामले में सीबीआई और एनआईए को सहयोग देने का आदेश दिया। अदालत ने एजेंसियों को याचिकाकर्ताओं द्वारा जबरन धर्मांतरण, जाली नोट, हथियार जमा करने और सीमा पार से घुसपैठ के आरोपों की जांच करने का भी आदेश दिया है।

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