ज्ञानवापी मामले पर पहले मुस्लिम पक्ष की मांग पर होगी सुनवाई, 26 को तय होगा मामले का भविष्य
ज्ञानवापी मामले पर सबसे पहले केस की वैधता के मामले पर सुनवाई होगी। वैधता की मांग मुस्लिम पक्ष ने की थी। वाराणसी की जिजा जज की अदालत में मंगलवार को लगातार दूसरे दिन सुनवाई शुरू हुई। दोनों पक्षों की ओर से केवल दो बिन्दुओं पर ही चर्चा हुई।
मुस्लिम पक्ष चाहता था कि पहले सिविल प्रक्रिया आदेश 07, नियम 11 के तहत यह तय हो की मामले की सुनवाई हो सकती है या नहीं। वहीं हिन्दू पक्ष चाहता था कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की सर्वे रिपोर्ट और उस पर आई आपत्तियों से जुड़े बिंदुओं पर सुनवाई हो। अब 26 मई को पहले वैधता पर सुनवाई होगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिला जज डॉ अजय कुमार विश्वेश की अदालत में सोमवार को सुनवाई शुरू हुई थी। करीब 45 मिनट तक सुनवाई के बाद अदालत ने मंगलवार तक के लिए मामले को टाल दिया था।
शीर्ष अदालत ने यह भी निर्देश दिया था कि आदेश 07 नियम 11 संबंधी अर्जी पर प्राथमिकता के आधार पर सुनवाई हो। कोर्ट ने स्थानीय अदालत द्वारा इंगित किये गये ‘शिवलिंग’ स्थल की सुरक्षा करने का अपना पिछला आदेश बरकरार रखा था। साथ ही वाराणसी जिले मजिस्ट्रेट को नमाजियों के लिये उचित वजू सुविधा प्रबंध करने का निर्देश भी दिया था।
एक सप्ताह में कमीशन की रिपोर्ट पर मांगी आपत्ति
जिजा जज ने सिविल जज की अदालत में पेश किये गए कमीशन की रिपोर्ट और उस पर आपत्ति मांगने के फैसले को बरकरार रखा है। जिला जज ने एक सप्ताह में उस पर आपत्ति मांगी है। दोनों पक्ष एक सप्ताह में उस पर आपत्ति दे सकते हैं। इसके साथ ही दोनों पक्षों को सर्वे की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी समेत रिपोर्ट उपलब्ध कराने का आदेश भी दिया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सिविल जज की अदालत से जिजा जज पहुंचा मामला
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यह प्रकरण सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत से जिला जज कोर्ट में स्थानांतरित हुआ है। राखी सिंह एवं अन्य की अर्जी पर सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर की कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का कोर्ट कमीशन कराया था। मस्जिद परिसर में स्थित वुजूखाने में शिवलिंग मिलने के दावे के बाद उस स्थान को सील करने के आदेश और प्रकरण की पोषणीयता को लेकर मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। तब शीर्ष अदालत ने यह प्रकरण जिला जज की अदालत में स्थानांतरित कर दिया।
मुस्लिम पक्ष की मांग
मुस्लिम पक्ष ने उपासनास्थल अधिनियम-1991 के उल्लंघन का हवाला देते हुए अर्जी को खारिज करने की मांग की। हिन्दू पक्ष ने सर्वे रिपोर्ट की प्रमाणित प्रति, फोटो, वीडियो आदि उपलब्ध कराने का आग्रह किया ताकि वह आपत्ति दाखिल कर सके। इसके लिए हफ्तेभर का समय भी मांगा। साथ ही प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष की अर्जी खारिज करने की भी अपील की।