चैत्र अमावस्या पर लगेगा साल का पहला सूर्य ग्रहण, जानें कब से है सूतक काल, इसमें शुभ कार्य क्यों नहीं करते
इस साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण चैत्र अमावस्या को लगने वाला है. यह सूर्य ग्रहण मार्च के अंतिम सप्ताह में लगेगा. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राहु और केतु के कारण सूर्य ग्रहण लगता है.
ये दोनों पाप ग्रह सूर्य का ग्रहण करने का प्रयास करते हैं. इसकी कथा समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है. सूर्य ग्रहण के समय में कोई मांगलिक कार्य नहीं करते हैं. मंदिरों के कपाट तक बंद कर दिए जाते हैं. सोने, खाने-पीने पर भी पाबंदी होती है. सूर्य ग्रहण के समय गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखना पड़ता है. सूर्य ग्रहण से पूर्व उसका सूतक काल प्रारंभ होता है, इसमें कोई शुभ कार्य नहीं करते हैं. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि सूर्य ग्रहण का सूतक काल कब से है? साल का पहला सूर्य ग्रहण कब से लगेगा? उसका समय क्या है?
साल का पहला सूर्य ग्रहण कब?
साल का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च दिन शनिवार को लगने वाला है. यह दिन सूर्य ग्रहण के अलावा शनि के गोचर के कारण भी महत्वपूर्ण है. शनि कुंभ से निकलकर मीन राशि में गोचर करेंगे.
पहले सूर्य ग्रहण का समय 2025
29 मार्च को लगने वाला पहला सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार दोपहर 2 बजकर 21 मिनट से लगेगा और यह शाम को 6 बजकर 14 मिनट पर खत्म होगा. उस दिन 3 घंटे 53 मिनट तक सूर्य ग्रहण रहेगा. यह एक खंडग्रास सूर्य ग्रहण होगा.
सूर्य ग्रहण 2025 सूतक काल
सूर्य ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले ही शुरू हो जाता है. इस आधार पर देखा जाए तो साल के पहले सूर्य ग्रहण का सूतक काल तड़के 2 बजकर 21 मिनट के बाद शुरू होना चाहिए. लेकिन यह सूर्य ग्रहण भारत में दृश्य नहीं होगा, इस वजह से सूतक काल मान्य नहीं होगा. स्पष्ट शब्दों में कहें तो इस सूर्य ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा.
सूतक काल क्या है?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य साक्षात् देव हैं और ग्रहण को उन पर संकट के रूप में देखा जाता है. ग्रहण लगने के 12 घंटे पूर्व से लेकर ग्रहण की समाप्ति तक का समय सूतक काल यानि अशुभ समय माना जाता है. वहीं चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले शुरू होता है और ग्रहण समापन के साथ खत्म होता है.
सूतक काल में शुभ काम क्यों नहीं करते हैं?
सूतक काल को एक अशुभ समय माना जाता है. इस वजह से इसमें कोई शुभ काम नहीं करते हैं. सूतक काल में पूजा पाठ, स्नान, दान, भोजन, शयन, खाना बनाने आदि की मनाही होती है. सूतक काल में मंदिरों को बंद कर देते हैं. इस समय में आपको केवल अपने इष्ट देव के नाम का स्मरण करना चाहिए.
सूतक काल में शुभ कार्यों को करने से उसके अच्छे फल प्राप्त नहीं होंगे. उसमें कई प्रकार की बाधाएं आ सकती हैं. आपका वह कार्य असफल हो सकता है.