क्या पीएम मोदी करेंगे सरयू मे स्नान? अयोध्या में हलचल हुई तेज, जानें इस नदी की महिमा

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अयोध्या में प्रभु राम के प्राण प्रतिष्ठा का यज्ञ अनुष्ठान चल रहा है. प्रभु श्रीराम को विरजमान करने के लिए लगातार विधि-विधान से पूजा की जा रही है.

रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का आज छठा दिन है . 22 जनवरी को यहां श्रीरामलला का प्राण प्रतिष्‍ठा उत्‍सव है और उसके बाद रामलला अपने मंदिर में विराजमान होंगे. 22 जनवरी को प्रधानमंत्री मोदी यजमान की भूमिका में नजर आएंगे. ऐसा माना जा रहा है कि मंदिर के कार्यक्रम में शामिल होने से पहले या बाद में अयोध्या में स्थित पवित्र सरयू नदी में पीएम मोदी स्नान कर सकते हैं. इसके लिए घाट को तैयार करने की कवायद तेज हो गई है.

सरयू नदी में पीएम के स्नान की अटकलों के बीच सरयू नदी में 3000 क्यूसेक पानी छोड़ा जा चुका है. मिली जानकारी के अनुसार पीएम मोदी सबसे पहले सरयू घाट पर स्नान करेंगे और उसके बाद कलश में जल भरकर पैदल ही राम जन्मभूमि की तरफ रवाना होंगे. बता दें कि अयोध्या की सरयू नदी बहुत पवित्र नदी मानी जाती है. प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रभु राम का जलाभिषेक भी सरयू नदी से किया गया है.

रामचरितमानस में है सरयू नदी की महिमा का वर्णन

धार्मिक ग्रंथो के मुताबिक अयोध्या के सरयू नदी का महिमा अपरंपार है. रामायण काल से सरयू कौशल जनपद की प्रमुख नदी थी तो दूसरी तरफ महाभारत के भीष्म पर्व में भी सरयू के नाम का उल्लेख मिलता है. रामचरितमानस में गोस्वामी तुलसीदास ने भी सरयू की महिमा का बखान करते हुए लिखा है “अवधपुरी मम पुरी सुहावनी उत्तर दिसी बही सरयू पावनी” इस चौपाई के जरिए गोस्वामी तुलसीदास ने सरयू नदी को अयोध्या की प्रमुख नदी के रूप में प्रस्तुत करने का कार्य किया है. इतना ही नहीं वामन पुराण के मुताबिक गंगा, जमुना ,गोमती, सरयू और शारदा आदि नदियों का हिमालय से प्रवाहित होना बताया गया है.

कैसे हुई सरयू नदी की उत्पति?

धार्मिक ग्रंथ ऋग्वेद में भी वर्णित है सरयू नदी की उत्पत्ति भगवान विष्णु के आंखो से प्रकट हुई हैं. प्राचीन काल में शंखासुर दैत्य ने वेदों को चुराकर समुद्र में डाल दिया और खुद भी वहीं छिप गया. इसके बाद भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण कर दैत्य का वध कर दिया. फिर भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी को वेद सौंपकर अपना वास्तविक रूप धारण किया. इस दौरान भगवान विष्णु खुश हो उठे और उनकी आंखों से आंसू टपक पड़े. ब्रह्माजी ने उस आंसू को मानसरोवर में डालकर उसे सुरक्षित कर लिया. इस जल को महापराक्रमी वैवस्वत महाराज ने बाण के प्रहार से मानसरोवर से बाहर निकाला. यहीं जलधारा सरयू नदी कहलाई. ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्री राम की बाल लीला के दर्शन के लिए ही सरयू का आगमन धरती पर त्रेता युग से पहले हुआ था.

सरयू नदी में स्नान करने से मिलता है पुण्य

राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं कि धार्मिक ग्रंथ पुराण और रामायण के अनुसार सरयू का आगमन त्रेता युग से पहले बताया गया है. वहीं वर्तमान में यह नदी करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र है. विशेष पर्व और अवसरों पर इस नदी में स्नान लाखों की संख्या में करते हैं. अयोध्या के साधु-संतों समेत तपस्वियों के लिए सरयू बहुत पूजनीय है. लोग अपना पाप धुलने के लिए धर्मनगरी अयोध्या आते हैं.

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