15 दिसंबर के बाद भूलकर भी ना करें ये शुभ काम, वरना मिलेगा नकारात्मक परिणाम
सूर्य देव दिसंबर के महीने में राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं. सूर्य का राशि परिवर्तन ज्योतिष की दृष्टि से एक अहम भूमिका निभाता है, क्योंकि इन्हें ऊर्जा और आत्मा का स्त्रोत माना जाता है.
फिलहाल 15 दिसंबर से सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करेंगे जिसे धनु संक्रांति के रूप में मनाया जाएगा और इसी दिन से खरमास भी शुरू हो जाएंगे. खरमास के दौरान सभी मांगलिक कार्यों पर एक महीने के लिए रोक लग जाएगी.
वैसे तो धनु संक्रांति के दौरान सूर्य देव की पूजा और मानसिक जाप करना बहुत ही लाभकारी साबित होता है. इस दौरान सूर्य से संबंधित चीजों का दान करने से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं. लेकिन आपको बता दें कि इसके अलावा कई ऐसे कार्य भी हैं जो कि इस दौरान करने की मनाही है. तो आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से धनु संक्रांति के दिनों में क्या नहीं करना चाहिए.
खरमास के समय धीमी हो जाती सूर्य की चाल
सूर्य के धनु राशि में प्रवेश करते ही सूर्य देव की चाल धीमी हो जाती है और खरमास लग जाता है. क्योंकि सूर्य की धीमी चाल के कारण कई तरह की अशुभता की संभावनाएं बढ़ जाती है, ऐसे में एक महीने के लिए सभी शुभ कार्यों पर रोक लग जाती है.
धनु संक्रांति के दिनों में क्या ना करें
1. धनु संक्रांति के दिनों में सूर्योदय होते ही जल अर्पित करें, लेकिन भूलकर भी दोपहर 12 बजे के बाद और शाम के समय सूर्य को अर्घ्य देने की गलती न करें. वरना दुर्भाग्य आपका पीछा पकड़ लेगा.
2. धनु संक्रांति के दिनों में अपने घर की पूर्व दिशा में किसी प्रकार की कोई गंदगी या कचरा एकत्रित ना होने दें. ऐसा करने से दरिद्रता आ सकती है.
3. धनु संक्रांति के एक महीने में लाल रंग के कपड़े पहनने से बचें, क्योंकि लाल रंग के वस्त्र पहनने से सूर्य ग्रह कमजोर होता है. इसलिए इस दौरान लाल रंग के कपड़े पहनने से सूर्य के अशुभ प्रभाव पड़ते हैं.
4. धनु संक्रांति के दौरान कोई भी मांगलिक कार्य करने से बचें, क्योंकि शुभ काम करना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है. साथ ही काम बनते-बनते बिगड़ सकते है.
धनु संक्रांति के दिनों में कर सकते हैं ये काम
– धनु संक्रांति के दौरान सूर्य देव की पूजा जरूर करें.
– इस संक्रांति की समयावधि में दान-पुण्य अवश्य करें. घर में बरकत आती है और सुख-समृद्धि रहती है.
– धनु संक्रांति के समय पितरों की पूजा जरुर करें व उनके निमित्त पीपल के पेड़ में तिल मिश्रित जल चढ़ाएं. इससे आपको उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.