Chaitra Navratri 2024: कब है चैत्र नवरात्रि, सोमवार या मंगलवार से? जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, दुर्गा अष्टमी, कन्या पूजा तारीख

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चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होती है. चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा तिथि से शुरू होकर दशमी तिथि तक चलती है, लेकिन कई बार यह नवमी को भी खत्म हो जाती है, इसकी वजह तिथियों का लोप होना है. कोई तिथि कम अवधि की होती है या जल्द खत्म हो जाती है तो कभी तिथि भी खत्म हो जाती है.

श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि इस साल की चैत्र नवरात्रि कब से है, सोमवार या मंगलवार से? कलश स्थापना मुहूर्त, दुर्गा अष्टमी और कन्या पूजा किस दिन है?

चैत्र नवरात्रि 2024 की सही तारीख?

वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र नवरात्रि उस दिन से प्रारंभ होगी, जिस दिन प्रतिपदा तिथि होगी. इस बार चैत्र कृष्ण प्रतिपदा तिथि 8 अप्रैल सोमवार को रात 11 बजकर 50 मिनट से शुरू होगी और यह तिथि 9 अप्रैल मंगलवार को रात 08 बजकर 30 मिनट पर खत्म होगी. ऐसे में चैत्र नवरात्रि शुरू होने की सही तारीख 9 अप्रैल है.

मंगलवार से चैत्र नवरात्रि प्रारंभ

इस बार की चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल दिन मंगलवार से प्रारंभ हो रही है. उससे एक दिन पहले सूर्य ग्रहण और सोमवती अमावस्या है. चैत्र नवरात्रि के दिन दुर्गा पूजा का प्रारंभ कलश स्थापना के साथ होता है.

कब होगी चैत्र नवरात्रि की कलश स्थापना?

9 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि की कलश स्थापना का शुभ समय प्रात: 06 बजकर 02 मिनट से सुबह 10 बजकर 16 मिनट तक है. उसके बाद दोपहर के अभिजीत मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट के बीच कलश स्थापना कर सकते हैं. ये दो मुहूर्त घटस्थापना के लिए श्रेष्ठ हैं.

चैत्र नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी कब है?

इस नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी 16 अप्रैल दिन मंगलवार ​को है. चैत्र शुक्ल अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी. दुर्गा अष्टमी पर मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा करते हैं.

चैत्र नवरात्रि की कन्या पूजा किस दिन करें?

चैत्र नवरात्रि में कन्या पूजा आप दुर्गा अष्टमी और नवमी के दिन कर सकते हैं. नवमी और नवरात्रि व्रत का पारण 17 अप्रैल दिन बुधवार को होगा. उस दिन राम नवमी भी है.

चैत्र नवरात्रि का हवन

आप चैत्र नवरात्रि का हवन भी दुर्गा अष्टमी और नवमी के दिन कर सकते हैं. कई स्थानों पर दुर्गा अष्टमी को हवन होता है, जबकि कई जगह नवमी या दशमी को हवन करते हैं.

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