Budget 2023: 1 रुपये से समझें कहां से कितना कमाती है सरकार, कहां-कहां होता है खर्च?

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अगले महीने की पहली तारीख यानी 1 फरवरी को देश का आम बजट पेश होगा. यह बजट देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद के सामने रखेंगी. इसके लिए तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं.

वित्त मंत्री ने विभिन्न हितधारकों से साथ बैठकें भी शुरू कर दी हैं. इस बजट से अलग-अलग क्षेत्र के लोगों को कई उम्मीदे हैं. नौकरीपेशा लोग टैक्स छूट में वृद्धि तो व्यापारी जीएसटी छूट में बढ़ोतरी की आस लगाए हैं. इन लोगों की उम्मीदें पूरी होती हैं या नहीं यह 1 फरवरी को सामने आ जाएगा.

भारत 3.5 लाख करोड़ डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था है इसलिए इसका बजट भी बहुत बड़ा होता है. इतनी बड़ी रकम के साथ ये समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है कि सरकार कहां से कितना कमाती है और कहां पर कितना खर्च करती है. इसलिए इसे हम केवल 1 रुपये की मदद से समझेंगे. उससे पहले संक्षेप में जान लेते हैं कि आखिर बजट होता क्या है.

क्या है बजट?

बजट का सीधा और सरल मतलब यही होता है कि आपके पास कितना पैसा आया और आपने उसमें से कितना खर्च किया. ये पैसा कहां से आया, आप उसे कहां खर्च कर रहे हैं व किन कार्यों में कितनी रकम लगा रहे हैं. ये सब बजट का ही हिस्सा होता है. बजट आम तौर पर हर घर में तैयार किया जाता है. इससे वित्त को संभालने और उसके सही इस्तेमाल में आसानी होती है.

कहां से होती है सरकार की कमाई?

1 रुपये में से सरकार की सबसे अधिक यानी 35 पैसे की कमाई कर्ज व बाकी देनदारियों से होती है. इसके 16 पैसे जीएसटी से, कॉरपोरेशन टैक्स से 15 पैसे और इनकम टैक्स से भी 15 पैसे की कमाई होती है. सरकार को 7 पैसे एक्साइज ड्यूटी से मिलते हैं और कस्टम ड्यूटी व नॉन टैक्स आय से क्रमश: 5-5 पैसे की कमाई होती है. अंत में 2 पैसे की आय सरकार को नॉन डेट कैपिटल से मिलती है.

कहां होता है कितना खर्च?

सरकार का सबसे अधिक पैसा ब्याज पर खर्च होता है. 1 रुपये में से 20 पैसे से सरकार ब्याज भरती है. इसके बाद टैक्स व अन्य शुल्क में राज्यों को 17 पैसा दिया जाता है. केंद्र सरकार की योजनाओं (सेंट्रल सेक्टर स्कीम) पर 15 पैसे और वित्त आयोग व इस तरह के अन्य खर्चों पर 10 पैसे जाते हैं. केंद्र द्वारा प्रायोजित योजनाओं पर 9 पैसे खर्च किए जाते हैं. मिसलेनियस खर्चों पर 9 पैसे, रक्षा पर 8 पैसे, सब्सिडी पर 8 पैसे और पेंशन पर 4 पैसे खर्च किए जाते हैं. बता दें कि सेंट्रल सेक्टर स्कीम और केंद्र प्रायोजित योजनाओं में अंतर होता है. पहली स्कीम को केंद्र सरकार पूरी तरह फंड करती है, जबकि दूसरी स्कीम को केंद्र आंशिक रूप से स्पॉन्सर करता है.

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