भारत ने NSG में सदस्‍यता के लिए की मजबूत दावेदारी, इसे जलवायु परिवर्तन के लक्ष्‍यों से जोड़ा

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भारत ने COP26 जलवायु सम्‍मेलन से पहले प्रतिष्‍ठ‍ित परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) में अपनी सदस्‍यता के लिए नए सिरे से दावेदारी पेश की है. भारत का कहना है कि इसके जलवायु और विकास लक्ष्‍य इस समूह में प्रवेश के साथ जुड़े हैं.

गौरतलब है कि NSG 48 सदस्‍यों का एक समूह जो वैश्विक स्‍तर पर परमाणु वाणिज्‍य (global nuclear commerce) को नियंत्रित करता है. G20 समिट में भारत के शेरपा और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, ‘मेरा मानना है कि यह कुछ ऐसा ही जिसे जलवायु परिवर्तन (climate transition) के लिए उपलब्‍ध टेक्‍नोलॉजी के प्रकार के आधार पर निर्धारित किए जाने की जरूरत है. उदाहरण के तौर पर अपने बेस लोड को कोल (कोयले) से से न्‍यूक्लियर परमाणु ऊर्जा) में बदलने के लिए हमें बड़ी मात्रा में पूंजी की जरूरत होगी. ‘

समूह में नए सदस्‍यों को आपसी सहमति के आधा पर प्रवेश दिया जाता है. भारत ने सबसे पहले मई 2016 में NSG में सदस्‍यता के लिए आवेदन किया था. हालांकि भारत को समूह के ज्‍यादा सदस्‍य देश का समर्थन हासिल हैं लेकिन चीन अब तक उसके प्रवेश में रोड़ा अटकाता रहा है. गोयल ने कहा, ‘दूसरी बात यह कि हमें परमाणु आपूर्ति के लिए कच्‍चे माह की उपलब्‍धता और बिजली की लागत से जुड़ी अन्‍य चिंताओं के समाधान के लिए एनएसजी की सदस्‍यता की जरूरत है. ऐसे में इसका समाधान समग्र बातचीत और सभी देशों के सामूहिक प्रयास से ही सुनिश्चित होगा. ‘

उल्लेखनीय है कि भारत और पाकिस्तान ने एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं कर रखे हैं. भारत द्वारा आवेदन किए जाने के बाद पाकिस्तान ने भी 2016 में समूह में प्रवेश के लिए आवेदन किया था. भारत ने जब 2016 में एनएसजी की सदस्यता के लिए आवेदन किया था तब से चीन इस बात पर जोर देता रहा है कि समूह में केवल उन देशों को शामिल किया जाना चाहिए जिन्होंने परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर हस्ताक्षर कर रखे हैं. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (NSG) में भारत के प्रवेश के प्रति अपने देश के समर्थन को दोहरा चुके हैं.

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