बांग्लादेश में तख्ता पलट के पीछे ISI का हाथ! छात्र शिवर के इशारे में हुआ ये अंजाम
बांग्लादेश में तख्ता पलट हो गया है. बांग्लादेश में लंबे समय से सत्ता में काबिज शेख हसीना को छात्रों के हिंसक विरोध-प्रदर्शन के बाद सोमवार को देश छोड़कर भागना पड़ा.
शेख हसीना बांग्लादेश छोड़कर गाजियाबाद के हिंडन एयरपोर्ट पर पहुंच गई हैं. उधर, ये बात सामने आ रही है कि बांग्लादेश की स्थिति के पीछ पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ है. देश में हिंसा भड़काने के पीछे छात्र शिविर नामक संगठन का नाम सामने आ रहा है. छात्र शिवर बांग्लादेश में प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी का ही एक हिस्सा है. और जमात-ए-इस्लामी को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी का समर्थन प्राप्त है.
शेख हसीना सरकार ने देश में हिंसा को देखते हुए कुछ दिन पहले ही जमात-ए-इस्लामी, उसकी स्टूडेंट यूनियन और अन्य संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था. सरकार के इस कदम के खिलाफ जमात-ए-इस्लामी और इसके तमाम संगठन सड़कों पर उतर आए थे. जमात-ए-इस्लामी कट्टरपंथी संगठन है.
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी- BNP के कार्यवाहक प्रमुख खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान की सांठ-गांठ के सबूत बांग्लादेश के अधिकारियों के पास भी थे. जानकारी मिली है कि बांग्लादेश में ऑपरेशन रिजीम चेंज की रूपरेखा लंदन में पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी- ISI के साथ मिलाकर बनाई गई थी. योजना का ब्लूप्रिंट तैयार करने के बाद उसे बांग्लादेश में अंजाम दिया गया.
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, सऊदी अरब में तारिक रहमान और आईएसआई अधिकारियों के बीच बैठकों के सबूत होने का दावा बांग्लादेश के अधिकारी कर रहे थे.
सोशल मीडिया हैंडल एक्स (X) पर कई एंटी बांग्लादेश लगातार इस विरोध-प्रदर्शन को हवा दे रहे थे और 500 से ज्यादा नेगेटिव ट्वीट शेख हसीना सरकार के खिलाफ किए गए. इनमें पाकिस्तानी हैंडल भी शामिल हैं. जानकारी मिली है कि प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी की स्टूडेंट विंग को भी कथित तौर पर पाकिस्तान की आईएसआई की तरफ से समर्थन मिल रहा है. इस संगठन का काम बांग्लादेश में हिंसा भड़काना और छात्रों के विरोध को राजनीतिक आंदोलन में बदलना था.
पाकिस्तान की सेना और आईएसआई का उद्देश्य प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार को अस्थिर करना और विपक्षी बीएनपी को बहाल करना है.
क्या है मुद्दा
बता दें कि बांग्लादेश में नौकरी में आरक्षण को लेकर छात्रों का विरोध-प्रदर्शन एक व्यापक राजनीतिक आंदोलन में बदल गया है. छात्र देश में विवादित आरक्षण प्रणाली को समाप्त करने का मुद्दा उठा रहे हैं. आरक्षण प्रणाली के तहत बांग्लादेश में 1971 में आजादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत का कोटा तय किया हुआ है. आरोप यह है कि आरक्षण के इस नियम का फायदा शेख हसीना की पार्टी आवामी लीग के लोगों को मिल रहा है.