18 साल की लड़की PM चुन सकती है तो शादी क्यों नहीं कर सकती; विवाह की उम्र बढ़ाने पर बोले ओवैसी
लड़कियों की शादी की उम्र को 18 से 21 साल करने के विधेयक का AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लोकसभा में तीखा विरोध किया। महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति इरानी ने इस बिल को लोकसभा में पेश किया, जिस पर कई विपक्षी सांसदों ने ऐतराज जताया।
इसके बाद इस बिल को स्टैंडिंग कमेटी के समक्ष विचार के लिए भेजा गया है। ओवैसी ने बिल पर बोलते हुए कहा, ‘यह बिल पीछे ले जाने वाले प्रस्तावों से भरा है। यह आर्टिकल 19 के तहत आजादी के अधिकार का हनन करता है। 18 साल की एक लड़की पीएम चुन सकती है। लिव-इन रिलेशनशिप में रह सकती है तो फिर उसका शादी का अधिकार क्यों छीना जा रहा है।’
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि आपने 18 साल की लड़कियों के लिए क्या किया है। वर्क फोर्स में महिलाओं की भागीदारी हमारे यहां सोमालिया से भी कम है। इससे पहले बिल पेश करते हुए स्मृति इरानी ने कहा कि 1940 तक लड़कियों की उम्र 10 साल थी, जिसे बढ़ाकर 12 साल किया गया था। इसके बाद 1978 तक देश में 15 साल की लड़कियों की शादियां होती रहीं। अब हम वह बिल ला रहे हैं, जिससे महिलाओं को बराबरी का हक मिलेगा। स्मृति इरानी ने कहा कि हमारे देश में 2015 से 2020 के दौरान 20 लाख बाल विवाह रोके गए हैं। स्मृति इरानी ने कहा कि यह सदन महिलाओं का अपमान और पिछड़ापन नहीं देख सकता है।
स्मृति इरानी ने कहा कि जिन लोगों ने कहा कि बिल सेक्युलर नहीं है। उन्हें सुप्रीम कोर्ट का एक फैसला पढ़ना चाहिए, जिसमें उसने कहा था कि यह सेक्युलर एक्ट है। यही नहीं मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और हिंदू मैरिज एक्ट के तहत भी सभी महिलाओं को विवाह के मामले में समानता का अधिकार मिलना चाहिए। इसके साथ ही स्मृति इरानी ने यह प्रस्ताव भी दिया कि स्टैंडिंग कमिटी में इस पर विचार होना चाहिए। इस बीच एनसीपी की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि सरकार बिना चर्चा के बिल लाने का काम इन दिनों करती है। यह तरीका स्वीकार नहीं की जा सकती।