रूसी सेना को हथियार देने वाली 100 से ज्‍यादा कंपनियों पर US ने लगाया बैन

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रूस ने यूक्रेन पर ढाई साल पहले हमला किया था, जिसके बाद से अमेरिका सहित तमाम यूरोपीय देशों ने इकनॉमी को चोट पहुंचाने के लिए रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए.

रूस इसके बावजूद भारत जैसे देशों को डिस्‍काउंट पर कच्‍चा तेल बेचकर अपनी अर्थव्‍यवस्‍था को जैसे-तैस पटरी पर लाने में कामयाब रहा. अमेरिका की तरफ से अब एक बार फिर रूस को सहायता पहुंचाने वाली कंपनियों पर हमला किया गया है. एसोसिएटेड प्रेस की खबर के अनुसार अब अमेरिका ने ऐसी 100 से ज्‍यादा रूसी, एशियाई, अफ्रीकी और यूरोपीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है, जो रूस को जंग के दौरान हथियार सप्‍लाई में मदद कर रही थी.

अमेरिका के ट्रेजरी डिपार्टमेंट की तरफ से ये बैन लगाया गया है, जिसमें रूस की 60 आईटी और डिफेंस सेक्‍टर की कंपनियां शामिल हैं. रूस की तीन फाइनेंशियल टेकनोलॉजी से जुड़ी कंपनियों पर भी यूएस ने बैन लगाया है. इसके अलावा तुर्की, फ्रांस और हांगकांग की कंपनियों को भी निशाना बनाया गया है. ये कंपनियां रूस को होलसेल में ट्रांसपोर्ट उपकरण और गोला-बारूद खरीद में मदद कर रही थी. अमेरिका रूस पर हर संभव तरीके से चोट पहुंचाना चाहता है, ताकि वो युद्ध में घुटने टेक दे. यह कोई पहला मौका नहीं है जब रूस पर इस तरह के बैन लगाए गए हों. हालांकि हर बार रूस इससे उभरकर बाहर आया और उसने युद्ध जारी रखा.

यूक्रेन की युद्ध में वापसी

अब तक युद्ध में रूस की तरफ से यूक्रेन में घुसकर एकतरफा एक्‍शन लिया जा रहा था. इस युद्ध में यूक्रेन अमेरिका और यूरोपीय देशों की मदद से केवल अपने बचाव की स्थिति में था. अब यूक्रेन भी रूस में घुसकर जवाबी हमले कर रहा है. हाल ही में यूक्रेन ने रूस की राजधानी मॉस्‍को में ड्रोन अटैक किए. इन हमलों ने राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन को भी हिला कर रख दिया. पीएम नरेंद्र मोदी ने बीते डेढ़ महीने के दौरान रूस और यूक्रेन दोनों देशों का दौरा किया. हालांकि यह युद्ध कब थमेगा, इसपर कुछ भी साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता है.

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