गगनयान की तारीख हुई फिक्स, चांद पर इंसान कब भेजेगा भारत? ISRO चीफ ने बताया सबकुछ

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भारतीय स्पेस एजेंसी (इसरो) पर पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई हैं. चंद्रयान-3 की सफलता के बाद इसरो चंद्रयान-4 और गगनयान मिशन पर द्रुत गति से काम कर रहा है.

दरअसल, भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ इसी साल 2024 के आखिर या 2025 में लॉन्च की उम्मीद थी लेकिन, इसकी तारीख बदल चुकी है. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ शनिवार को आकाशवाणी (ऑल इंडिया रेडियो) में सरदार पटेल मेमोरियल लेक्चर में भारत के आगामी मिशन के साथ-साथ उन्होंने वैश्विक स्पेस इकॉनमी में भारत की भागीदारी बढ़ाने पर भी बात की. उन्होंने गगनयान, चंद्रयान-4, चंद्रयान-5 और भारत के चांद पर मानव मिशन पर भी बात की.

ऑल इंडिया रेडियो के लेक्चर में उन्होंने बहु प्रतीक्षित भारत के गगनयान मिशन के बारे में बताया. उन्होंने बताया कि मानवयुक्त स्पेस मिशन गगनयान संभवतः 2026 में लॉन्च होगा. वहीं, चंद्रयान-4 जो कि चांद की सतह से सैंपल लेकर आएगा, यह 2028 तक लॉन्च हो सकता है. वहीं, उन्होंने बताया कि भारत-अमेरिका का विलंबित मिशन निसार अगले साल तक संभव हो सकेगा. निसार मिशन, एक रडार मशीन है जो धरती की सतह पर पर्यावरणीय बदलावों और प्राकृतिक आपदाओं और प्राकृतिक घटनाओं की बेहतर जानकारी जुटाएगा.

JAXA के साथ ISRO का मून मिशन

इसरो के अध्यक्ष ने खुलासा किया कि जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जेएक्सए (JAXA) के साथ संयुक्त चंद्रमा-लैंडिंग मिशन, जिसे मूल रूप से ल्यूपेक्स या लूनर पोलर एक्सप्लोरेशन (LUPEX) नाम दिया गया था. यह चंद्रयान-5 मिशन होगा. उन्होंने लॉन्च के लिए फिक्स समय सीमा का उल्लेख नहीं किया. पहले LUPEX मिशन को 2025 की समय-सीमा में लॉन्च किया जाना था, लेकिन अब इसे चंद्रयान-5 के रूप में वर्णित किया गया है, इसलिए इसकी उम्मीद 2028 के बाद ही की जा सकती है.

चंद्रयान-4 कब तक

सोमनाथ ने बताया, ‘चंद्रयान-4 एक बहुत भारी मिशन होगा, इसमें लैंडर भारत द्वारा प्रदान किया जाएगा, जबकि रोवर जापान से आएगा. चंद्रयान-3 पर रोवर का वजन केवल 27 किलोग्राम था. लेकिन, यह मिशन 350 किलोग्राम का रोवर ले जाएगा. यह मिशन भारत को चंद्रमा पर मानव को उतारने में एक कदम और करीब ले जाएगा. उन्होंने भारत ने 2040 तक चंद्रमा पर मानवयुक्त मिशन भेजने की योजना का अनावरण किया है.

इसरो में प्राइवेट सेक्टर

सोमनाथ ने शनिवार के लेक्चर में वैश्विक स्पेस इकॉनमी और स्पेस रिसर्च में प्राइवेट सेक्टर को शामिल करने को लेकर बात की. उन्होंने बताया कि अगले 10 से 12 साल में इंटरनेशनल स्पेस इकॉनमी में भारत की भागीदारी 2 प्रतिशत से 10 प्रतिशत तक करने की कोशिश किया जाएगा. उन्होंने बताया कि इसे इसरो अकेले दम पर हासिल नहीं कर सकता है. स्टार्ट-अप से लेकर बड़ी कंपनियों तक, सभी को भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में आकर भाग लेने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, “हम ऐसे सक्षम तंत्र बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, जिससे कंपनियों के लिए इसरो के साथ काम करना आसान हो जाएगा.”

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