झारखंड में जातीय सर्वेक्षण का रास्ता साफ, चंपाई सोरेन सरकार की कैबिनेट से लगी मुहर, जानें डिटेल

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झारखंड में जातीय सर्वेक्षण का रास्‍ता साफ हो गया है. राज्य की चंपाई सोरेन सरकार की कैबिनेट से मुहर लगाई है. राज्य में कार्मिक विभाग जातीय सर्वेक्षण करेगा.

हालांकि जातीय सर्वेक्षण कब शुरू होगा ये तय होना अभी बाकी है. झारखंड राज्य सरकार ने फैसला किया है कि जाति सर्वेक्षण का काम को संवेदनशील मानते हुए इसे सजगता से पूरा करना होगा; इसकी जिम्‍मेदारी को कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग सौंप दी गई है. झारखंड कार्यपालिका नियमावली में भी इसको लेकर जरूरी बातों को शामिल किया जा रहा है. सरकार की ओर से यह बताया गया है कि सभी लोगों को, वर्गों को समानता का हक मिलना चाहिए, इसको आधार मानते हुए यह सर्वेक्षण किया जाएगा.

कैबिनेट की बैठक खत्म होने के बाद प्रोजेक्ट बिल्डिंग से बाहर निकले मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने कहा कि हमने कास्ट सेंसस के लिए विभाग का चयन कर लिया है. उसके बाद हम आगे का काम आगे बढ़ाएंगे. वही मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर कहा कि गठबंधन की बात है गठबंधन में बैठकर यह फैसले लिए जाएंगे. वहीं उन्होंने कहा कि झारखंड में जल्द ही बहालिया नियुक्तियां की जाएगी. वहीं भाजपा द्वारा शिवराज सिंह चौहान और हिमंत विश्व शर्मा को बीजेपी झारखंड चुनाव प्रभारी नियुक्त किए जाने पर उन्होंने कहा कि वह कितने हैवी नेता है हमें पता नहीं है .उनका दल चुनाव के बाद भयभीत है .इसीलिए वह अभी से हाय तौबा कर रहे हैं. लेकिन हमारा महागठबंधन मजबूत है कितना भी कुछ करें हम लोग मजबूती के साथ आगे भी रहेंगे.

सरकार बोली- समानता का अधिकार और अवसर देना है

झारखंड सरकार का कहना है कि अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्ग के लोगों को उनका हक मिलना चाहिए. यह वर्ग कई सालों से इस अधिकार से वंचित है. सरकार इस जाति सर्वेक्षण से इन वर्गों को समानता का हक देना चाहती है. कैबिनेट के प्रस्‍ताव में कहा गया था कि अनूसूचित जाति, जनजाति, और अन्य पिछड़े वर्ग के गरीबी में जी रहे हैं और यह वर्ग शोषित रहा है. इसे समानता का अधिकार और अवसर दिया जाना चाहिए.

कैबिनेट के फैसले के बाद शुरू हुई राजनीति, कांग्रेस ने किया दावा

कांग्रेस विधायक दल के उपनेता प्रदीप यादव ने दावा किया है कि उन्‍होंने ही सरकार से राज्य में जातीय जनगणना कराने और पिछड़ों का आरक्षण 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का आग्रह किया था. इसके लिए उन्‍होंने मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन से मुलाकात की थी. इसके बाद ही सरकार ने इस दिशा में कदम आगे बढ़ाए थे. प्रदीप यादव ने कहा कि वर्तमान गठबंधन की सरकार ने पहले भी इस इस पर गंभीरता से विचार किया था, जिसके बाद पिछड़ी जाति को सरकारी सेवाओं में 27 प्रतिशत आरक्षण प्राथमिकता के आधार पर देने संबंधी विधेयक विधानसभा से पारित कराया गया था, जो अब तक पेंडिंग है.

सीएम ने दिया था संदेश, जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी

मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने बहुत पहले ही इस दिशा में अपनी राय जाहिर कर दी थी. उन्‍होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर अपने एक संदेश में लिखा था कि ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी. झारखंड है तैयार.’ इसको लेकर सरकार बीते कई महीनों से तैयारी कर रही थी और अब लोकसभा चुनावों के बाद इसकी घोषणा करना था. अफसरों ने मिलकर जाति-आधारित सर्वेक्षण का मसौदा तैयार कर लिया है.

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