पौष पूर्णिमा पर बन रहा गुरु पुष्य योग, कर लें ये 5 काम, धन-संपत्ति से भरेगा घर, बढ़ेगी सुख-समृद्धि भी

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इस साल पौष पूर्णिमा 25 जनवरी गुरुवार को है. उस दिन गुरु पुष्य योग बन रहा है. जब गुरुवार को पुष्य नक्षत्र होता है, तब गुरु पुष्य योग का निर्माण होता है.

यह योग आपके जीवन में सफलता, शुभता लाता है, इस योग में खरीदारी, बिजनेस आदि करना शुभ फलदायी होता है. उसमें बढ़ोत्तरी होती है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं कि पौष पूर्णिमा को गुरु पुष्य योग में कौन से 5 उपाय करें, जिससे धन-संपत्ति और सुख-समृद्धि में बढ़ोत्तरी हो.

पौष पूर्णिमा के दिन गुरु पुष्य योग सुबह 08:16 एएम से बन रहा है. पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि 24 जनवरी को रात 09:49 बजे से लेकर 25 जनवरी को रात 11:23 बजे तक है.

पौष पूर्णिमा के दिन गुरु पुष्य योग के अलावा रवि योग, अमृत सिद्धि योग और प्रीति योग भी बन रहे हैं. नए कार्य को करने से लिए पौष पूर्णिमा शुभ दिन है. रवि योग 07:13 एएम से 08:16 एएम, अमृत सिद्धि योग 08:16 एएम से 26 जनवरी को 07:12 एएम तक और प्रीति योग सुबह 07:32 एएम से पूरी रात तक है.

गुरु पुष्य योग में आप माता लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करें. पूजा के दौरान कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें. माता लक्ष्मी को खीर का भोग लगाएं. भगवान विष्णु को पंचामृत, तुलसी के पत्ते, गुड़ और चने की दाल का भोग लगाएं. माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा से आपका जीवन धन, संपत्ति, सुख और समृद्धि से भर जाएगा.

गुरु पुष्य योग में आपको सोना और पौष पूर्णिमा पर चांदी खरीदना चाहिए. सोना खरीदने से आपके सुख और समृद्धि में बढ़ोत्तरी होगी. सोना को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. सोना आपके भाग्य में वृद्धि भी करेगा क्यों​कि यह सोना देव गुरु बृहस्पति को भी प्रिय है. चांदी चंद्रमा की प्रिय धातु है.

यदि आप सोना नहीं खरीद सकते हैं तो गुरु पुष्य योग में हल्दी खरीद लें. हल्दी आपके भाग्य को मजबूत करेगा, जिससे आपके कार्य सफल होंगे. 10 रुपए की हल्दी आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकती है.

गुरु पुष्य योग में बृहस्पति ग्रह का प्रभाव अधिक होता है. ऐसे में आप पौष पूर्णिमा पर धार्मिक पुस्तकें जैसे गीता, रामचरितमानस आदि खरीद सकते हैं.

पौष पूर्णिमा की रात चंद्र देव की पूजा करें. उनको रात के समय में पानी में दूध, सफेद फूल और अक्षत् डालकर अर्घ्य दें. चंद्रमा के बीज मंत्र ओम सों सोमाय नम: का जाप करें.

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