शंखनाद से गूंज उठी अयोध्या, भक्तों ने लगाए जय श्री राम के नारे, सब रंगे भक्ति के रंग में
विशेष सम्मेलन –’श्री राम महापर्व’ का शंखनाद के साथ समापन हुआ. समापन से पहले लोकगायिका संजोली पांडेय ने भजनों पर दर्शकों को मंत्र मुग्ध हो गए.
श्री राम महापर्व अयोध्या की राम की पैड़ी पर सरयू नदी के किनारे आयोजित किया गया. कार्यक्रम में बीजेपी के पूर्व महासचिव विनय कटियार ने कहा कि 1984 में पूरे उत्तर प्रदेश के लोग अयोध्या आए थे. तब सभा हुई थी कि आंदोलन शुरू करना है. उस समय उत्साह बन रहा था. आगे धीरे-धीरे बढ़ते गए और बढ़ता गया. हम लोगों ने वातावरण बनाया. संतों के यहां गए. नौजवान संत खड़े हो गए. वे जुट गए. उन्हीं की अगुआई हमने की. हमें लगा कि हमारा उत्साह बढ़ेगा. 7 अक्टूबर 84 को जो घटना घटित हुई उससे उत्साह बढ़ गया. इस घटना में दो सगे भाई चले गए. हनुमान चौराहे पर उन्हें पुलिस ने मार दिया. भावुक क्षण था. उसके बाद कोई घर नहीं गया. सब डट गए. अयोध्या के संतों ने बड़ा भारी योगदान दिया. धीरे-धीरे लगा कि अयोध्य आंदोलित हो रही है. आधा प्रदेश आंदोलित हो रहा है. फिर पूरा प्रदेश आंदोलित होता गया. राम नाम का सैलाब आगे बढ़ता गया. यह सैलाब अभी भी है.
मणिरामछावनी अखाड़ा के प्रमुख कमल नयन दास ने कहा कि सारे राम भक्त राम मंदिर के नाम पर संगठित हुए. उनका इतना प्रवाह उमड़ा कि चारों तरफ भक्त अयोध्या आए. उनके प्रवाह को कोई रोक नहीं पाया. रामभक्तों ने विवादित ढांचा ध्वस्त हो गया. हमारे लिए राष्ट्र सर्वोपरी है. राम भक्तों का बलिदान था. पूरे विश्व ने इसको देखा है. सबकी इच्छा पूरी हुई. विजय मिली. राजीव गांधी ने कुछ नहीं किया. राष्ट्र के साथ उन्होंने अन्याय किया. सबकुछ राम की कृपा से, महापुरुषों के त्याग-तपस्या से पूरा हुआ है. 22 जनवरी को पूरे विश्व से रामभक्त आ रहे हैं. भक्तों से कहा गया है कि अपने-अपने घरों में, मठ-मंदिरों में जमकर दीवाली और उत्सव मनाएं.
कवि सम्मेलन हो रहा है. इसमें भुवन मोहिनी, डॉ. धर्म प्रकाश, शमीम गाजीपुरी, मानसी द्विवेदी, आशीष अनल कविता पाठ कर रहे हैं. उससे पहले स्वामी चिदानंद ने कहा कि 45 साल पहले जब अमेरिका में हमने मंदिर का निर्माण किया उसमें अनूप जलोटा आए. उन्होंने जो भजन गाया उसकी गूंज आज भी वहां के लोगों के मन में गूंजती है. अयोध्या में इतने संघर्षों के बाद यह सिद्धी मिली है. आज राष्ट्र मंदिर का निर्माण हो रहा है. भगवान राम भक्ति की शक्ति का दर्शन कराते हैं. लोगों के रोम-रोम में राम बसे हैं. शबरी का विश्वास सच हुआ. हमें रक्षात्मक होने की जरूरत नहीं है, हमें सत्य सामने लाने की जरूरत है.
महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्र नाथ ने कहा कि राम ही ब्रह्म है, शिव हैं, विष्णु हैं, परमब्रह्म हैं, जीव ही राम हैं. राम किसी एक वर्ग या जाति के नहीं हैं, किसी परिवार के, किसी एक देश के नहीं है. वे सब के हैं. संसार में जो प्रेम तत्व है, वही राम है. राम को जाति विशेष में बांध लेना राम के साथ न्याय नहीं है. श्री राम किसी समुदाए विशेष के नहीं हैं, वे पूरे विश्व के लिए अनुकरणीय हैं. जब से सृष्टि है, तब से विवाद है. सभी ने सत्य और असत्य की शक्ति को माना है. सत्य को कई बार लड़ना पड़ता है. जो राम को नहीं मानेगा, वह भी एक दिन समाप्त हो जाएगा. हिंदू बड़ा व्यापक है. विश्व में सनातन और मानवता एक-दूसरे के पहलू हैं. हिंदू का विचार संकीर्ण, नहीं व्यापक है. सनातन कहता है प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो. भारत हिंदू राष्ट्र था, हिंदू राष्ट है और सदा रहेगा. हम सदैव धर्म के मार्ग पर चलने वाले हैं. हमें किसी प्रमाण की जरूरत नहीं.
योग गुरू रामदेव ने कहा कि राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं. राम ही सर्वस्व हैं. जब हम अपने पुरुखों के बलिदान को देखते हैं, जिन्होंने राम के लिए सबकुछ न्योछावर कर दिए, परिवार खो दिए, मुझे लगता है 22 जनवरी को उन सांस्कृतिक शहीदों की शहादत को याद किया जाए. उनका स्मारक अयोध्या में बनना चाहिए. मेरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यही प्रार्थना है. ज्ञानव्यापी के नाम से ही पता चलता है कि उसका संबंध हिंदूओं से है. योग गुरू रामदेव ने कहा कि राम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं. राम ही सर्वस्व हैं. जब हम अपने पुरुखों के बलिदान को देखते हैं, जिन्होंने राम के लिए सबकुछ न्योछावर कर दिए, परिवार खो दिए, मुझे लगता है 22 जनवरी को उन सांस्कृतिक शहीदों की शहादत को याद किया जाए. उनका स्मारक अयोध्या में बनना चाहिए.
बाबा रामदेव ने कहा कि मेरी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से यही प्रार्थना है. ज्ञानव्यापी के नाम से ही पता चलता है कि उसका संबंध हिंदूओं से है. हमारे देवस्थानों को प्रदूषित न करें. मैं सनातन धर्म का पराक्रमी संन्यासी हूं. मुगल शासकों ने प्राचीन काल में देवस्थानों को तोड़कर मस्जिदें बनाईं. चुनाव हारने जैसा इतना बड़ा राजनीतिक सबक लेने के बाद भी कोई न सीखे तो क्या कहा जाए. लोगों की विनाश काले विपरीत बुद्धि हो रही है. यह ठीक है. ये हमारे लिए ही अच्छा है. संकल्प से सिद्धी का असली हीरो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं. गृह मंत्री अमित शाह ने इस कार्य को आगे बढ़ाया. सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद जिसने अन्याय नहीं होने दिया. हमने नहीं सोचा था कि ये पल देख पाएंगे. हमारा जीना, हमारी आंखें धन्य हो गईं.
महाकाल लोक से आए कथावाचक महंत मिथिलेश नंदनी शरण और कथावाचक प्रणव पुरी महाराज भगवान राम की भक्ति पर प्रकाश फैला रहे हैं. जब राम अयोध्या में आ गए तो मां ने विचार किया की 14 साल बाद बेटा घर आया है. मां कौशल्या ने सोचा कि अपने हाथों से भोजन कराऊंगी. भोजन कराने के बाद मां ने पूछा कैसा लगा. तो बोले, अच्छा था लेकिन, वह बात नहीं है. ससुरात तक बात चली गई. वहां से व्यंजन आए तो भी भगवान ने कहा कि वो बात नहीं. इस पर गोस्वामी तुलसी दास जी ने लिखा है कि भगवान प्रेम की रीति को समझते हैं.
उससे पहले, लोकगायिका संजोली पांडेय ने सोहर गायकी से दर्शकों को राम भक्ति से सराबोर किया. उससे पहले महापर्व में राम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास और हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास शामिल हुए. सत्येंद्र दास ने कहा कि परमात्मा ही अयोध्या में प्रगट हुए. वे अपनी मर्यादा के साथ चलते रहे. भगवान राम परमब्रह्म और तीनों लोकों के स्वामी हैं. पहले वे विवादित ढांचे में रहे. फिर, उनकी त्रिपाल में पूजा हुई. पुराने समय में भगवान राम की आराधना में परेशानी हुई. महंत राजू दास ने कहा कि परेशानियों के बाद भी हर दिन सुनवाई के लिए जाते थे. हमने मंदिर बनने तक चप्पल पहनना छोड़ दिया. भगवान को भोग लगाने के लिए तुलसी नहीं मिलती थी. भगवान के लिए वस्त्र नहीं मिलते थे. टेंट से भगवान को भारी परेशानी होती थी. आज गर्व की बात है कि मंदिर बन रहा है. कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कहा था तुरंत मूर्ति हटाओ. कांग्रेस झूठ कहती है. उसने कभी भी भगवान राम मंदिर का नहीं सोचा. कांग्रेस की मंशा होती तो भगवान 28 साल तक टेंट में नहीं रहते. कांग्रेस की सरकार होती तो मंदिर नहीं बनता. कांग्रेस के नेता कालनेमि हैं. हमारे यहां रोज भगवान का अपमान होता है. रामचरित मानस का अपमान होता है. हम हनुमान जी के सेवक हैं. कभी-कभी गुस्सा आता है.
यह महापर्व शंखनाद और लोकगायिका मालिनी अवस्थी की गायकी के साथ शुरू हुआ. उन्होंने श्री राम जन्म का सोहर गाया. उनकी गायकी पर दर्शक राम भक्ति में डूब गए. इस मौके पर श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि 22 जनवरी को मैं वैसे देखता हूं जैसे 15 अगस्त 1947. ये नहीं सोचना है कि मेरे रहते ये काम होगा कि नहीं. काम करते रहना है. जल चलता रहता है तो समुद्र में मिल जाता है. मैं चलने में ही यकीन करता हूं. राम लला का एक नया विग्रह तैयार हो रहा है. देश बलिदानियों का देश है. मैं इतनी ही समझता था कि सत्य हमेशा विजयी होता है. मेरा कर्म पर विश्वास है. पत्थर पर हथौड़ा मारो, ये नहीं पता कौन सी चोट से वह टूटेगा.
राय ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा मंदिर में नहीं, गर्भ गृह में होती है. यह पूरी तरह तैयार है. गर्भ गृह और मूर्ति पूरी तरह तैयार हैं प्राण प्रतिष्ठा के लिए. दरवाजे तैयार हैं. 170 खंभों पर तमाम मूर्तियां बनाई जानी हैं. राम जन्मभूमि को लेकर यह नहीं कह सकते कि कितने लोगों ने बलिदान दिया है. 1984 में यह आंदोलन शुरू किया था. देश के 5 लाख कॉलोनियों तक हमारे विचार पहुंच गए. हमारे आंकलन के मुताबिक कुछ दस करोड़ लोगों ने मंदिर के दान दिया है. यह मंदिर संपूर्ण राष्ट्र का, 135 करोड़ लोगों के समाज का, विदेशों में बसे राम भक्तों का है. 15 हजार संतों ने समाज को जागरूक किया है. खिलाड़ियों, वैज्ञानिकों, लेखकों, साहित्यकारों, कवियों, रंगमंच कलाकारों, पदक विजेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों, राजदूत, सेवानिवृत्त न्यायाधीश, वकील, भारतीय सेना के शहीद के परिजनों को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में आना चाहिए. हर समाज का एक प्रतिनिधि होना चाहिए.
राय ने कहा कि राजनीतिकों की आलोचना को हम सुनते रहते हैं. एक समय सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट दिया था कि राम का अस्तित्व नहीं है. वह मिथ है. राजनीतिक दलों को इतना ही कहूंगा कि शांत रहेंगे तो ज्यादा अच्छा है. उनकी आलोचना का कोई असर नहीं है. चुप रहेंगे तो बुलाया जा सकता है. हम 1984 से आंदोलन कर रहे हैं. विपक्ष का कोई एक भी नेता इस आंदोलन से जुड़ा होगा तो उसे बुलाने पर विचार किया जाएगा. धर्म निरपेक्ष का आदमी तो हो ही नहीं सकता. व्यवस्था धर्म निरपेक्ष होता है, कानून धर्म निरपेक्ष होता है. कानून सब पर एक जैसा लागू होना चाहिए. राजा समाज की भावनाओं के अनुसार चलेगा.