ट्रिब्यूनल में नियुक्तियों के लिए एक हफ्ते की मोहलत, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हमारे सब्र का इम्तेहान न लें

0 288

सुप्रीम कोर्ट ट्रिब्यूनल सुधार एक्ट (Tribunal Reforms Act) और नियुक्तियों ( Tribunal Appointments) को लेकर केंद्र सरकार से कड़ी नाराजगी जताई है.

सुप्रीम कोर्ट ( (Supreme Court) ) चीफ जस्टिस (CJI) एनवी रमना ने कहा कि हमें लगता है कि केंद्र को इस अदालत के फैसलों का कोई सम्मान नहीं है, लेकिन हमारे सब्र का इम्तेहान न लें. हमने पिछली बार भी पूछा था कि आपने ट्रिब्यूनलों में कितनी नियुक्तियां की हैं. अदालत ने केंद्र सरकार को ट्रिब्यूनल में नियुक्तियों के लिए केंद्र सरकार को एक हफ्ते की मोहलत दी है.

सीजेआई ने कहा, हमें बताइए कि कितनी नियुक्तियां हुई हैं. हमारे पास तीन ही विकल्प हैं, पहला कानून पर रोक लगा दें, दूसरा ट्रिब्यूलनों को बंद कर दें और खुद ट्रिब्यूनलों में नियुक्ति करें और फिर सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करें.

चीफ जस्टिस ने कहा कि हम जजों की नियुक्ति के मामले पर आपने जिस तरह से कदम उठाए, उसकी सराहना करते हैं. लेकिन ट्रिब्यूनल के लिए एक सदस्यों की नियुक्ति के लिए इतनी देरी का कारण क्या है, यह समझ से परे है. NCLT में रिक्तियां पड़ी हैं. अगर आपको इस कोर्ट के दो जजों पर भरोसा नहीं है, तो फिर हम क्या कह सकते हैं. फिलहाल हम नए कानून पर भरोसा नहीं कर सकते जब हमारे के पहले आदेशों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.

एसजी तुषार मेहता ने वित्त मंत्रालय के दिनांक 6/09/2021 के पत्र को पढ़ा कि सदस्यों की नियुक्ति पर निर्णय 2 महीने के भीतर लिया जाएगा. जस्टिस नागेश्वर राव ने कहा, हम जिन ट्रिब्यूनलों की सिफारिशों के बारे में बात कर रहे हैं, वे इस सुधार विधेयक के अस्तित्व में आने से 2 साल पहले भेजे गए थे. आपने उन्हें नियुक्त क्यों नहीं किया? कानूनों के अनुसार की गई सिफारिशें जैसे वे तब मौजूद थीं, उन्हें क्यों नहीं किया जाता ?

जस्टिस डीवीई चंद्रचूड ने कहा कि मेरे पास IBC के बहुत मामले आ रहे हैं, ये कॉरपोरेट के लिए बहुत जरूरी हैं, लेकिन NCLAT और NCLT में नियुक्तियां नहीं हुई हैं तो केसों की सुनवाई नहीं हो रही है.सशस्त्र बलों के ट्रिब्यूनलों में भी पद खाली हैं. लिहाजा सारी याचिकाएं हमारे पास आ रही हैं.

उन्होंने कहा, मैंने NCDRC के लिए चयन समिति की अध्यक्षता की है, CJI ने NCLAT की अध्यक्षता की है.न्यायमूर्ति राव ने समितियों की अध्यक्षता की है.नए एमओपी में प्रावधान है कि पहले आईबी नामों को मंजूरी देता है फिर हम सिफारिशें भेजते हैं. लेकिन अनुशंसित नाम या तो हटा दिए गए हैं या नहीं लिए गए हैं.

यह किसी एक व्यक्ति द्वारा भेजे गए नाम नहीं हैं. यह एक साथ बैठे जजों और वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति है. अब आप जो ट्रिब्यूनल अधिनियम लाए हैं, वह वस्तुतः पहले से हटाए गए प्रावधानों का दूसरा रूप है. जस्टिस राव ने कहा, हमने लगभग 55 लोगों का साक्षात्कार लिया है और फिर टीडीसैट के लिए लगभग नामों की सिफारिश की है.आप सदस्यों की नियुक्ति न करके ट्रिब्यूनल को कमजोर कर रहे हैं.

जस्टिस डीवीआई चंद्रचूड ने कहा, हम एक अधिनियम को रद्द करते हैं और फिर दूसरा नया सामने आ जाता है. यह एक समान पैटर्न बन गया है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, हमें आप पर भरोसा है, हम आशा करते हैं कि आप सरकार को एक के बाद एक कानून बनाने के लिए कहने वाले नहीं हैं.शायद नौकरशाह ऐसा करते हैं पर हम बहुत परेशान हैं.

सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एल नागेश्वर राव की बेंच ट्रिब्यूलनों में नियुक्तियों और ट्रिब्यूनल
सुधार एक्ट, 21 के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.

Leave A Reply

Your email address will not be published.