Guru Purnima 2023: कब है गुरु पूर्णिमा? इस तिथि का वेद व्यास और गौतम बुद्ध से क्या संबंध? जानें मुहूर्त और महत्व

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हर साल गुरु पूर्णिमा का पर्व आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को मनाते हैं. गुरु पूर्णिमा के दिन अपने गुरु का पूजन करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं. गुरु शिष्य परंपरा में गुरु पूर्णिमा का दिन विशेष होता है.

इस दिन गुरु के ​प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर होता है क्योंकि वह हमें अज्ञान के अंधकार से निकालकर ज्ञान रुपी प्रकाश में ले जाता है. सनातन धर्म में कहा जाता है कि गुरु के बिना परम ब्रह्म ज्ञान और मोक्ष दोनों ही प्राप्त नहीं होता है. केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं ​कि गुरु पूर्णिमा कब है? तिथि, पूजा मुहूर्त और महत्व क्या है?

गुरु पूर्णिमा 2023 तिथि

पंचांग के अनुसार, 02 जुलाई की रात 08 बजकर 21 मिनट पर आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि की शुरूआत होगी. 03 जुलाई सोमवार को शाम 05 बजकर 08 मिनट पर आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि की समाप्ति होगी. ऐसे में इस साल गुरु पूर्णिमा 03 जुलाई सोमवार को मनाई जाएगी.

गुरु पूर्णिमा 2023 पूजा मुहूर्त

गुरु पूर्णिमा के अवसर पर पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 05:27 बजे से सुबह 07:12 बजे तक और सुबह 08:56 बजे से सुबह 10:41 बजे तक है. उसके बाद दोपहर में 02:10 बजे से 03:54 बजे तक शुभ समय है. गुरु पूर्णिमा वाले दिन ब्रह्म योग, इंद्र योग और बुधादित्य राजयोग बन रहा है.

जीवन में गुरु का महत्व

गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा
गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नमः।।

संस्कृत श्लोक के माध्यम से बताया गया है कि गुरु का स्थान तो तीनों देवों में भी सर्वोपरि है. गुरु ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं. वे ही साक्षत् परम ब्रह्म हैं, उस गुरु को प्रणाम है.

वहीं कबीर दास ने गुरु की महत्ता को बताते हुए लिखा है- गुरु गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागू पाय। बलिहारी गुरु आपने, गोविन्द दियो बताय।।

गुरु पूर्णिमा को वेद व्यास जयंती

गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा या वेद व्यास जयंती नाम से भी जानते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार, महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ माह की पूर्णिमा तिथि को हुआ था, इस वजह से इस दिन को व्यास जयंती या व्यास पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं. उन्होंने महाकाव्य महाभारत की रचना की थी. गुरु पूर्णिमा के दिन वेद व्यास जी की पूजा करते हैं.

गुरु पूर्णिमा पर बुद्ध ने दिया पहला उपदेश

गुरु पूर्णिमा यानि आषाढ़ पूर्णिमा ति​थि को भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपना पहला उपदेश दिया था. बोधगया में ज्ञान की प्राप्ति के बाद यह पहला अवसर था, जब उन्होंने अपने ज्ञान से लोगों को आलोकित किया. इस वजह से गुरु पूर्णिमा का दिन बौद्ध धर्म के लिए भी महत्वपूर्ण है.

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