नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह में शामिल होगा अकाली दल, कहा- देश के लिए यह गर्व की बात

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नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर जारी विवाद के बीच पंजाब की विपक्षी पार्टी और एनडीए के पूर्व साझेदार शिरोमणि अकाली दल ने इस उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होने का फैसला किया है.

शिअद नेता दलजीत चीमा ने बुधवार को इस बाबत ऐलान करते हुए कहा कि उनकी पार्टी विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए मुद्दों से सहमत नहीं है.

दलजीत चीमा ने मोहाली में संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ‘नए संसद भवन का उद्घाटन देश के लिए गर्व की बात है, इसलिए हमने फैसला किया है कि शिरोमणि अकाली दल 28 मई को उद्घाटन समारोह में शामिल होगा. हम विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए मुद्दों से सहमत नहीं हैं.’

कांग्रेस सहित 19 दलों ने किया उद्घाटन समारोह का बहिष्कार

इससे पहले कांग्रेस सहित 19 विपक्षी दलों ने संसद के नए भवन के उद्घाटन समारोह का सामूहिक रूप से बहिष्कार करने का ऐलान करते हुए आरोप लगाया है कि इस सरकार के कार्यकाल में संसद से लोकतंत्र की आत्मा को निकाल दिया गया है तथा समारोह से राष्ट्रपति को दूर रखना ‘अशोभनीय कृत्य’ एवं लोकतंत्र पर सीधा हमला है. वहीं दूसरी तरफ, सरकार ने विपक्ष के इस कदम को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि विपक्षी पार्टियों को अपने इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.

इस उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने की घोषणा करने वाले विपक्षी दलों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके), जनता दल (यूनाइटेड), आम आदमी पार्टी, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, झारखंड मुक्ति मोर्चा, नेशनल कांफ्रेंस, केरल कांग्रेस (मणि), रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी, विदुथलाई चिरुथिगल काट्ची (वीसीके), मारुमलार्ची द्रविड मुन्नेत्र कड़गम (एमडीएमके) और राष्ट्रीय लोकदल शामिल है.

पीएम मोदी 28 मई को करेंगे नए संसद भवन का उद्घाटन

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को संसद के नए भवन का उद्घाटन करेंगे. वहीं विपक्षी दलों की घोषणा को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने उनसे अपने रुख पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया. जोशी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘बहिष्कार करना और गैर-मुद्दे को मुद्दा बनाना सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण है. मैं उनसे इस फैसले पर पुनर्विचार करने और समारोह में शामिल होने की अपील करता हूं.’ जोशी ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष संसद के संरक्षक हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री को संसद भवन का उद्घाटन करने के लिए आमंत्रित किया है.

उधर विपक्ष के 19 दलों ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘नए संसद भवन का उद्घाटन एक महत्वपूर्ण अवसर है. हमारे इस विश्वास के बावजूद कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है और जिस निरंकुश तरीके से नई संसद का निर्माण किया गया था, उससे हमारी अस्वीकृति के बाद भी हम अपने मतभेदों को दूर करने और इस अवसर को चिह्नित करने के लिए तैयार थे.’

‘राष्ट्रपति मुर्मू को दरकिनार करना लोकतंत्र पर हमला’

इन दलों ने बयान में आरोप लगाया, ‘राष्ट्रपति मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए, नए संसद भवन का उद्घाटन करने का प्रधानमंत्री मोदी का निर्णय न केवल राष्ट्रपति का घोर अपमान है, बल्कि हमारे लोकतंत्र पर सीधा हमला है, जो इसके अनुरूप प्रतिक्रिया की मांग करता है.’

इन विपक्षी दलों के मुताबिक, भारत के संविधान के अनुच्छेद 79 में कहा गया है कि ‘संघ के लिए एक संसद होगी जिसमें राष्ट्रपति और दो सदन होंगे जिन्हें क्रमशः राज्यों की परिषद और लोगों की सभा के रूप में जाना जाएगा.’ उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति न केवल राष्ट्राध्यक्ष होते हैं, बल्कि वह संसद का अभिन्न अंग भी हैं क्योंकि वही संसद सत्र आहूत करते हैं, उसका अवसान करते हैं और साल के पहले सत्र के दौरान दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित भी करते हैं. संक्षेप में, राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है. फिर भी, प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन का उद्घाटन करने का निर्णय लिया है.”

इन विपक्षी दलों ने दावा किया कि यह ‘अशोभनीय कृत्य’ राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान करता है और संविधान की मूल भावना का उल्लंघन करता है. विपक्षी पार्टियों ने कहा, ‘यह सम्मान के साथ सबको साथ लेकर चलने की उस भावना को कमज़ोर करता है जिसके तहत देश ने अपनी पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति का स्वागत किया था.’

इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘जब लोकतंत्र की आत्मा को ही संसद से निष्कासित कर दिया गया है, तो हमें नई इमारत में कोई मूल्य नहीं दिखता. हम नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के अपने सामूहिक निर्णय की घोषणा करते हैं.’ उन्होंने यह भी कहा, ‘हम इस निरंकुश प्रधानमंत्री और उनकी सरकार के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे, और अपना संदेश सीधे भारत के लोगों तक ले जाएंगे.’

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