अफगानिस्तान में लड़ाई अभी बाकी है! अंद्राब में मारे गए तालिबान के 50 लड़ाके, जिला कमांडर भी हुआ ढेर

0 370

तालिबान भले ही समूचे अफगानिस्तान पर कब्जे का दावा कर रहा है, लेकिन अब भी उसे कई जगहों पर कड़ी टक्कर मिल रही है। अंद्राब घाटी में विद्रोही लड़ाकों से संघर्ष के दौरान तालिबान के बानू जिले के कमांडर की मौत हो गई है। यही नहीं इस संघर्ष में उसके तीन अन्य साथी भी मारे गए हैं।

इसके अलावा फज्र इलाके में संघर्ष में भी तालिबान के 50 लड़ाकों के मारे दाने की खबर है। इसके अलावा 20 लोगों को विद्रोहियों ने बंधक बना लिया है। इसके अलावा विद्रोहियों के भी 6 लोग जख्म हुए हैं और एक की मौत हो गई है। इस बीच तालिबान के लड़ाकों ने पंजशीर घाटी को घेर लिया है। हालांकि उसका कहना है कि हम लड़ने की बजाय राजनीतिक समाधान के पक्षधर हैं।

इसके अलावा तालिबान ने उन तीन जिलों पर एक बार फिर से कब्जा जमा लिया है, जिन्हें विद्रोहियों ने उसके कब्जे से छुड़ा लिया था। तालिबान के प्रवक्ता ने सोमवार को ही उन तीन जिलों को वापस कब्जाने की बात कही थी, जिन पर विद्रोहियों ने कब्जा जमा लिया था। 15 अगस्त को अफगानिस्तान में तालिबान का राज स्थापित होने के बाद पहली बार हुए सशस्त्र विद्रोह में बानो, देह सालेह और पुल-ए-हेसार जिले पर विद्रोहियों ने कब्जा जमा लिया था। लेकिन सोमवार को तालिबान ने इन जिलों पर तो वापस कब्जा जमाया ही, इसके अलावा बदख्शन, ताखर और अंद्राब में भी अपनी सत्ता कायम कर ली।

अहमद मसूद ने दिया इस शर्त के साथ समझौते का प्रस्ताव

ये तीनों ही जिले पंजशीर घाटी के पास हैं और इसके चलते अब घाटी में संघर्ष तेज होने की आशंका बढ़ गई है। 2001 से पहले भी तालिबान से कड़ा मुकाबले करने वाले अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने एक बार फिर से हथियार उठा लिए हैं। उन्होंने अपनी लीडरशिप में बड़ी संख्या में लड़ाकों को तैयार किया है। इसके अलावा खुद को राष्ट्रपति घोषित कर चुके मोहम्मद बिन सालेह भी उनका साथ दे रहे हैं। इस बीच मसूद ने तालिबान को अफगानिस्तान में समावेशी सरकार बनाने के लिए समझौते का प्रस्ताव दिया है। हालांकि उनका कहना है कि यदि तालिबान के लड़ाके पंजशीर घाटी में आते हैं तो अच्छा नहीं होगा।

जी-7 देशों से मीटिंग करने वाले हैं जो बाइडेन

इस बीच आज अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन जी-7 देशों के नेताओं से मीटिंग करने वाले हैं। इसमें तालिबान को मान्यता देने या फिर बैन लगाए जाने को लेकर फैसला लिया जाएगा। गौरतलब है कि अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश अपने लोगों के बचाव के लिए 31 अगस्त के बाद भी सैनिकों को अफगानिस्तान में बनाए रखने के पक्ष में हैं। वहीं तालिबान ने कहा है कि य़दि 31 अगस्त तक सेनाएं वापस नहीं गईं तो फिर उसका अंजाम भुगतना पड़ सकता है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.