वैशाख माह में भी मनाई जाती है शनि जयंती, बन रहा सर्वार्थ सिद्धि योग, इस दिन पितरों को कर सकते प्रसन्न
शनि जयंती साल में दो बार मनाई जाती है. दक्षिण भारत में शनि जयंती वैशाख अमावस्या को और उत्तर भारत में ज्येष्ठ अमावस्या को मनाई जाती है.
आज 7 अप्रैल शुक्रवार से हिंदू कैलेंडर का दूसरा माह वैशाख प्रारंभ हुआ है. आज वैशाख कृष्ण प्रतिपदा तिथि है, वैशाख की अमावस्या तिथि को शनि देव का जन्मोत्सव मनाया जाएगा. उस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग बना है. इस दिन आप अपने पितरों को भी प्रसन्न करके उनका आशीर्वाद ले सकते हैं. श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्युञ्जय तिवारी से जानते हैं कि वैशाख की शनि जयंती कब है और कौन से दो शुभ योग बन रहे हैं.
शनि जयंती 2023 तिथि
पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 19 अप्रैल को सुबह 11 बजकर 23 मिनट से प्रारंभ हो रही है और यह 20 अप्रैल को सुबह 09 बजकर 41 मिनट तक है. ऐसे में वैशाख अमावस्या 20 अप्रैल को है तो शनि जयंती भी 20 अप्रैल को मनाई जाएगी. हालांकि उत्तर भारत में शनि जयंती इस साल 19 मई को ज्येष्ठ अमावस्या के दिन मनाई जाएगी.
सर्वार्थ सिद्धि योग में है वैशाख की शनि जयंती
20 अप्रैल को शनि जयंती के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और प्रीति योग बना है. सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 51 मिनट से शुरू हो रहा है और यह रात 11 बजकर 11 मिनट तक है. वहीं प्रीति योग दोपहर 01 बजकर 01 मिनट से देर रात तक है. उससे पहले विष्कम्भ योग है.
वैशाख शनि जयंती वाले दिन अश्विनी नक्षत्र रात 11 बजकर 11 मिनट तक है. इस दिन का शुभ समय या अभिजित मुहूर्त दिन में 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 46 मिनट तक है.
शनि जयंती की पूजा
शनि जयंती के दिन न्याय के देवता शनि देव की पूजा करें. उनको काले तिल, नीले फूल, काली उड़द, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें. उसके बाद तिल के तेल या सरसों के तेल का दीपक जलाएं. फिर शनि चालीसा का पाठ करें. शनि देव के जन्म की कथा सुनें. उसके बाद शनि देव की आरती करें. फिर शनि देव से ग्रह दोष, साढ़ेसाती और ढैय्या के कष्टों से मुक्ति देने की प्रार्थना करें ताकि जीवन के कष्ट खत्म हों.
वैशाख अमावस्या पर पितरों को करें खुश
वैशाख अमावस्या के दिन प्रात: स्नान करें. उसके बाद सूर्य देव की पूजा करें. फिर पितरों को जल से तर्पण करें. इससे आपके पितर प्रसन्न होंगे और सुखी जीवन का आशीर्वाद देंगे. पितरों को प्रसन्न करने के लिए अपनी क्षमता के अनुसार वस्त्र, अन्न आदि का दान भी दे सकते हैं.