26 जून से मंगल-राहु अंगारक के साथ बन रहा रूचक राजयोग, मिथुन से लेकर सिंह राशि को मिलेगा बहुत कुछ

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आषाढ़ कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि 26 जून 2022 दिन रविवार को दिन में 3:35 के बाद मंगल का राशि परिवर्तन देव गुरु बृहस्पति की राशि मीन से स्वयं की राशि मेष में होने जा रहा है जहाँ पर ये 10 अगस्त तक रह कर अपना प्रभाव स्थापित करेंगे।

मेष राशि में गोचर कर रहे मंगल अपना संपूर्ण प्रभाव दे पाने में सफल होंगे क्योंकि कोई भी ग्रह अपने स्वयं की राशि में अपना संपूर्ण प्रभाव दे पाने में सफल होता है मंगल की तीन स्थितियां अत्यंत महत्वपूर्ण होती है जब ये स्वयं की अपनी राशि मेष और वृश्चिक में गोचर करते हैं। जब ये अपनी उच्च राशि मकर में गोचर करते हैं तथा जब यह अपनी नीच राशि कर्क में गोचर करते हैं । वर्तमान में देव गुरु बृहस्पति की राशि में मित्र गृही होकर गोचर कर रहे हैं जो 26 जून को अपनी राशि में प्रवेश कर जाएंगे ।

मंगल के इस परिवर्तन का चराचर जगत पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा क्योंकि वह मेष राशि में पहले से ही राहु गोचर कर रहे है। ऐसे में मंगल और राहु का संयुक्त प्रभाव देखने को मिलेगा। इसे अंगारक योग कहते हैं। मंगल के परिवर्तन का भारत और विश्व पर पड़ेगा। मंगल अग्नि तत्व कारक ग्रह है अग्नि तत्व कारक के साथ में राहु का होना अग्नि तत्व में वृद्धि कराएगा। ऐसे में आग , सेना सैन्य तंत्र, पुलिस बल , चक्रवात, तीव्र गति से वायु चलने एवं वायुयान दुर्घटना के योग हैं।

भारतीय दृष्टिकोण से देखा जाए तो स्वतंत्र भारत की कुंडली वृष लग्न की है ऐसे में मंगल सप्तम एवं व्यय भाव के कारक होकर व्यय भाव मेष राशि में राहु के साथ गोचर करने जा रहे हैं फलत: भारतीय दृष्टिकोण से यह परिवर्तन सकारात्मक परिवर्तन की तरफ इशारा नहीं कर रहा है । सैन्य तंत्र, पुलिस बल, आग, तीव्र गति से वायु चलने की संभावना, चक्रवात की संभावना, वाहन आदि जैसे ट्रेन में दुर्घटना के संकेत इस गोचर की के प्रभाव से दिख रहा है। भारतीय क्षेत्र की बात करें तो पूर्वी क्षेत्र पूर्वोत्तर क्षेत्र विशेष रूप से प्रभावित होगा । महिलाओं को लेकर के भी कुछ बड़ी अरिष्ट की खबरें प्राप्त हो सकती है । इस अवधि में स्वगृही होने के कारण मंगल रूचक नामक राजयोग का निर्माण भी करेंगे। जिसका प्रभाव मेष लग्न से लेकर के मीन लग्न पर्यंत के जातकों पर पड़ेगा।

मेष:- मेष लग्न में मंगल लग्न एवं अष्टम भाव के कारक होने के कारण शुभ फल प्रदायक के रूप में प्रभाव स्थापित करते हैं। ऐसे में लग्न भाव में स्वराशि के होकर गोचर करने जा रहे हैं। यहां पर रोचक नामक राजयोग का सुंदर प्रभाव देखने को मिलेगा। मनोबल में वृद्धि स्वास्थ्य में वृद्धि ,पद प्रतिष्ठा में वृद्धि ,क्रोध में वृद्धि ,दांपत्य जीवन को लेकर थोड़ा सा तनाव का वातावरण उत्पन्न हो सकता है । राहु के संयुक्त प्रभाव से थोड़ा सा झल्लाहट के साथ साथ तनाव में वृद्धि हो सकता है। फिर भी भूमि भवन वाहन से जुड़ा कोई न कोई सकारात्मक कार्य हो सकता है।

वृष :- वृष लग्न में मंगल द्वादश एवं सप्तम भाव के कारक होकर द्वादश भाव में गोचर करने जा रहे हैं। वृष लग्न में शुभ फल प्रदायक ग्रह के रूप में प्रभाव नहीं स्थापित करते हैं। ऐसे में व्यय के कारक ग्रह का व्यय भाव में गोचर करने से करने से विपरीत राजयोग का निर्माण भी होगा । फलत: शत्रु पर विजय की स्थिति , यात्रा खर्च में वृद्धि की स्थिति, व्यापार में वृद्धि के संकेत , आंखों की समस्या, दांपत्य जीवन से संबंधित कोई न कोई विवाद या तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकता है भाई बंधुओं मित्रों का सहयोग सानिध्य प्राप्त होगा हो सकता है।

मिथुन :- मिथुन लग्न में मंगल लाभ एवं रोग भाव के कारक होकर के अशुभ फल प्रदायक के रूप में कार्य करते हैं। फिर भी यहां पर लाभ भाव में स्व गृही गोचर करने जा रहे हैं। ऐसे में अचानक लाभ में वृद्धि, धन में वृद्धि , संतान को लेकर थोड़ा तनाव का वातावरण उत्पन्न हो सकता है। अध्ययन अध्यापन में भी थोड़ी चिंता की स्थिति के साथ-साथ पुराने रोगों से मुक्ति एवं शत्रु पर विजय प्राप्त हो सकता है । यह अवधि आर्थिक दृष्टिकोण से सकारात्मक परिवर्तन कराते हुए खर्च में वृद्धि के संकेत दे रहा हैं।

कर्क :- कर्क लग्न वालों के लिए मंगल परम राजयोग कारक ग्रह के रूप में प्रभाव स्थापित करते हैं। ऐसे में दशम भाव में स्वराशि के होकर गोचर करने से मंगल अपना संपूर्ण प्रभाव दे पाने में समर्थ होंगे। साथ में राहु के होने के कारण मंगल के प्रभाव में वृद्धि होगा। फलस्वरूप सम्मान में वृद्धि, व्यवसाय में वृद्धि , नौकरी में वृद्धि व परिवर्तन ,पद प्रतिष्ठा में वृद्धि के साथ-साथ क्रोध में वृद्धि और वाहन सुख में वृद्धि, संतान सुख एवं संतान के स्वास्थ्य सुख में वृद्धि, अध्ययन अध्यापन में सकारात्मक परिवर्तन एवं पिता के सहयोग सानिध्य में वृद्धि हो सकता है।

सिंह :- सिंह लग्न वालों के लिए मंगल भाग्य एवं सुख भाव के कारक होने के कारण परम राजयोग कारक ग्रह के रूप में प्रभाव स्थापित करते हैं । यहां पर मंगल भाग्य भाव में स्वराशि के होकर गोचर करने जा रहे हैं । जो एक उत्तम स्थिति का निर्माण कर रहा है। परिणाम स्वरूप पराक्रम में वृद्धि, पद प्रतिष्ठा में वृद्धि ,भाग्य में वृद्धि, पिता के सहयोग सानिध्य में वृद्धि, यात्रा में खर्च की स्थिति, गृह एवं वाहन सुख से संबंधित सकारात्मक परिवर्तन की संभावना के साथ-साथ व्यवसाय नौकरी में भी परिवर्तन के उत्तम संकेत दिख रहा है। मंगल के साथ राहु के होने के कारण पिता के स्वास्थ्य के प्रति सावधान रहने की भी विशेष आवश्यकता है।

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