वॉयस ऑफ हिंद केस: ISIS आतंकियों ने भर्ती के लिए चलाया था ऑनलाइन कैंपेन, NIA की चार्जशीट से खुलासा
‘वॉयस ऑफ हिंद केस’ में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की ओर से दायर सप्लीमेंट्री चार्जशीट में नए खुलासे हुए हैं। इसमें बताया गया है कि कैसे आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया (ISIS) की ओर से भारत में हिंसक जिहाद के लिए मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और मजदूरी के लिए भर्ती करने की साजिश रची गई थी।
एनआईए ने आईएसआईएस के दो आतंकवादियों अफशान परवेज जराबी और तौहीद लतीफ सोफी के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दायर किया। दोनों जम्मू और कश्मीर में श्रीनगर के निवासी हैं। इनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं और गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत विशेष अदालत के समक्ष दिल्ली में आरोप पत्र दायर हुआ। एनआईए ने अपने आरोप पत्र में बताया है कि ऑन-ग्राउंड टेरर फाइनेंसिंग गतिविधियों के जरिए साइबर स्पेस पर कैंपेन शुरू किया गया, ताकि नापाक योजनाओं को अंजाम दिया जा सके।
आरोपी परवेज ISIS का चीफ ऑपरेटिव
एनआईए ने बताया कि आरोपी परवेज आईएसआईएस का प्रमुख ऑपरेटिव है और दूसरे आरोपी उमर निसार का करीबी सहयोगी है। NIA ने कहा, “वह AF-पाक (अफगानिस्तान-पाकिस्तान) आधारित ISIS गुर्गों से भी जुड़ा था और ISIS के लिए भर्ती में सक्रिय रूप से शामिल था। उमर निसार की गिरफ्तारी के बाद, उसे भारत में ISIS गतिविधियों के प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया था और वह मीडिया के साथ-साथ जमीनी हालात को भी संभाल रहा था। वह सक्रिय रूप से विभिन्न ऑनलाइन प्लेटफार्मों के माध्यम से आईएसआईएस प्रचार सामग्री का प्रसार कर रहा था।”
‘हिंदू मंदिरों, सरकारी भवनों की करता था रेकी’
NIA के अनुसार, अन्य आरोपी तौहीद लतीफ सोफी भी उमर निसार और जुफरी जवाहर दामुदी का करीबी सहयोगी था। एनआईए ने कहा कि सोफी आईएसआईएस की प्रचार पत्रिका ‘वॉयस ऑफ हिंद’ के लिए कंटेंट एडिटिंग और पोस्टर बनाने में शामिल था। साथ ही वह विध्वंसक कृत्यों को अंजाम देने के लिए पुलिस थानों सहित हिंदू मंदिरों, सरकारी भवनों में रेकी भी करता था। एनआईए ने पिछले साल 29 जून को साइबर यूनिट कासिम खुरासानी और उसके सहयोगियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। इससे पहले इसी साल छह जनवरी को इस मामले में चार आईएसआईएस आतंकियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी।